समकालीन मराठी स्त्री कविता में स्त्री तत्व

भारतीय साहित्य में मराठी स्त्री कविता की धारा तेरहवीं शताब्दी से भक्ति भाव को लेकर शुरू हो कर क्रमशः नारीवाद को छूती हुई अपनी राह बनाती रही है। नारीवादी कविता अक्सर भाषा और भाव का सहारा लेकर समाज में प्रचलित कुसंस्कार और रूढ़िवादी धारणाओं को चुनौती देने का प्रयास करती है।

Pustaknama Sahitya Varshiki 2024

गति और ठहराव, द्रुत और विलंबित, राग-रंग और शोक, शुद्धता और मिलावट तथा अपेक्षा और मोहभंग की कई समानांतर, विरोधी और पूरक लकीरों से ही आज के समय की छवि मुकम्मल होती है। अपने समय, समाज और सभ्यता की समीक्षा करते हुए एक बेहतर दुनिया के स्वप्न की रचना ही साहित्य और कला का वास्तविक …

आलोकधन्वा से संवाद

पुस्तक आँसू और रोशनी : आलोकधन्वा से संवाद से एक अंश 1 एक रात आलोकधन्वा ने मुझसे कहा : चाँदनी का वह असर है कि वह पक्षियों को भी ठीक से सोने नहीं देती वे डैनों में चोंच डालते हैं और नींद लेने की कोशिश करते हैं फिर चोंच निकालकर देखते हैं : अँधेरा तो …

कथाकार शंकर को राजकमल चौधरी सम्मान

चौथे राजकमल चौधरी स्मृति कथा सम्मान हेतु वरिष्ठ कथाकार और ‘परिकथा’ के संपादक शंकर का चयन हुआ है। कवि-संपादक विष्णु चंद्र शर्मा द्वारा मित्रनिधि के माध्यम से प्रारम्भ किया गया यह सम्मान दो वर्ष के अंतराल में प्रदान किया जाता है। सम्मान के संयोजके के अनुसार समारोह सितंबर माह में राजधानी में आयोजित होगा। यह …

14वां अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान कमलेश वर्मा एवं सुचिता वर्मा को

अपनी प्रखर आलोचनात्मक दृष्टि और क्षमता के साथ छायावाद के प्रमुख चार स्तंभ, – प्रसाद, निराला, पंत तथा महादेवी वर्मा की कविताओं के शब्दों को बोधगम्य अर्थ तक पहुंचाने का विलक्षण ‘काव्य- कोश’, दशकों की साधना से तैयार कर प्रो. कमलेश वर्मा एवं डॉ. सुचिता वर्मा ने अनूठा कार्य किया है। यह काव्य कोश हिन्दी …

वर्ष 2021 तथा 2022 के लिए शिवना प्रकाशन के प्रतिष्ठित सम्मानों की घोषणा

‘अंतर्राष्ट्रीय शिवना सम्मान’ हरि भटनागर तथा नीलेश रघुवंशी को, ‘शिवना कृति सम्मान’ अवधेश प्रताप सिंह, ओमप्रकाश शर्मा तथा आदित्य श्रीवास्तव को शिवना प्रकाशन द्वारा दिए जाने वाले प्रतिष्ठित सम्मानों की घोषणा कर दी गयी है। शिवना प्रकाशन द्वारा पिछले कुछ वर्षों से दिये जा रहे इन सम्मानों का साहित्य जगत् को बेसब्री से इंतज़ार रहता …

पठनीय और विचारणीय उपन्यास: रूदादे-सफ़र

डॉ. सीमा शर्मा पंकज सुबीर वर्तमान साहित्य जगत् में एक सुपरिचित नाम हैं और अपनी किसी-न-किसी रचना, कभी उपन्यास तो कभी कहानी के कारण चर्चा में बने रहते हैं। इन दिनों अपने नवीनतम प्रकाशित उपन्यास ‘रूदादे-सफ़र’ को लेकर चर्चा में हैं। उपन्यास ‘रूदादे-सफ़र’ का दूसरा संस्करण मेरे पास है। यह अलग बात है कि इसका …

ज़मीन और पानी के दरमियान

श्रीधर नांदेड़कर की कविताएं ओम निश्‍चल यह संयोग ही था कि पिछले विश्व पुस्तक मेले में श्रीधर नांदेड़कर का कविता संग्रह जमीन और पानी के दरमियान का हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुआ और उसके थोड़े ही दिनों बाद उन्हें साहित्य अकादमी के मंच पर सुनने का अवसर मिला। यह सौभाग्य की बात है कि मराठी और …

प्रेम से बाहर न समय था ना कोई दुनिया

(सलाम बांबे व्हाया वर्सोवा डोंगरी: सारंग उपाध्याय) जीतेश्वरी इक्कीसवीं शताब्दी के इस भयावह दौर में जब हमारे देश ने अपनी गंगा-जमुनी तहजीब को पूरी तरह से भूला दिया है, धर्म और मजहब के नाम पर जब खून के छींटे हर जगह दिखाई दे रहे हैं ऐसे अंधेरे और भयावह समय में युवा पत्रकार, लेखक सारंग …

रुहानी सिस्‍टर्स दो जान एक रुह

सूफी संगीत में अपनी अलग पहचान बनाने वाली रूहानी सिस्टर्स आज सूफी संगीत का पर्यायवाची बन गई है।रूहानी सिस्टर्स की सबसे खास बात यह है कि वह अपने सूफी संगीत, बुलंद आवाज़, ताल और अपनी रुहानी आवाज़ से लोगों की रूह को छू लेती है।रुहानी सिस्टर्स को आम तौर पर लोग सगी बहनें मानते है जबकि ऐसा है नही ।दोनों से एक जागृति लूथरा प्रसन्‍ना तथा दूसरी नीता पांडे नेगी ।

साहित्य में अकेले कंठ की वे पुकार थे

प्रेमचंद परिवार से जुड़े हिंदी के प्रसिद्ध लेखक अजितकुमार को साहित्य विरासत में मिला था। उनकी मां सुमित्रा कुमारी सिन्हा शिवरानी देवी की समकालीन लेखिका थीं और उस जमाने की प्रमुख प्रकाशक भीथीं। बच्चन परिवार के अंतरंग रहे अजित कुमार के संचयन ‘अंजुरी भर फूल’ (संपादक: पल्लव) के बहाने हिंदी के वरिष्ठ कवि पत्रकार विमल …

जीवट पिताओं की अंतिम पीढ़ी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देती एक किताब

‘कारी तू कब्बि ना हारी’ एक साधारण शिक्षक के जीवन-संघर्ष की गाथा है, जो विषम परिस्थितियों से जूझता है, लेकिन कर्तव्यनिष्ठा के बल पर गाढ़े समय से पार पा लेता है। यह एक आम आदमी की विजय-गाथा है। इस आपाधापी भरे जीवन में ‘जीवन के शाश्वत् मूल्यों’ का निर्वहन करना किसी चुनौती से कम नहीं …

कृष्णा सोबती की अनोखी प्रेम कथा

विमल कुमार क्या आपने अपने शहर में या अपने मोहल्ले में किसी 75 वर्ष की महिला को शादी रचाते हुए देखा है? शायद नहीं देखा होगा। वैसे, आमतौर पर विदेशों में इस तरह की शादियां होती हैं लेकिन भारतीय समाज में ऐसा लगभग न के बराबर होता है पर अपवाद स्वरूप कुछ ऐसी शादियां हुई …

साहित्य में पशु-पक्षी

विजय शर्मा हैदराबाद और डालटनगंज में मैंने मधुमक्खियों को मरते हुए देखा। शोध से पता चला है कि यह मोबाइल फ़ोन का असर है। मोबाइल फ़ोन टावर तथा सेलफ़ोन से एलैक्ट्रोमैगनेट तरंगे निकलती हैं जो मधुमक्खियों के लिए हानिकारक है। इस पर केरल के एक वैज्ञानिक डॉ. सैनुद्दीन पट्टाषि (Dr. Sainuddin Pattazhy) ने एक शोध …