स्याह गलियों का रोज़नामचा

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इरा टाक

“ये बार डांसर…हाड़-मांस की नहीं बनी. ये तो सिर्फ नखरों से बनीं हैं. कुछ ख़ास बारों में ये आ कर आपकी बगल में बैठ जाएँगी और कहेंगी- हेल्लो हेन्सम, क्या मैं तुम्हारा सेल इस्तेमाल कर सकती हूँ या हाय स्वीटी तुम कैसे हो? और स्वाभाविक है कि आप उत्तेजित हो जायेंगे”

ये दास्ताँ किसी फिल्म की पटकथा का हिस्सा नहीं है बल्कि बम्बई के डांस बारों और कमाटीपुरा की स्याह गलियों का रोज़नामचा है, जिसे सोनिया फेलेरो ने लिखा है, जो एक पुरस्कृत पत्रकार हैं. उनकी यह कथेतर किताब ‘ब्यूटीफुल थिंग’ मुंबई की डांस बारों पर पांच साल के शोध पर आधारित है. इस किताब का दुनिया भर की अनेक भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. इसका हिंदी अनुवाद नीना वाघ ने किया है, जो ‘हुस्न का बाज़ार’ नाम से 2012 में पेंगुइन पब्लिकेशन से आया था.

किताब की भाषा सहज, सरल, बहावदार है. एक बार किताब पढनी शुरू करते हैं तो किताब आपको छोडती नहीं आप पात्रों के साथ बहने लगते हैं, उनके दर्द, असुरक्षा को महसूस करते हैं. लीला, प्रिया और मस्ती हिजड़े के माध्यम से किताब बार डांसर्स, सेक्स वर्कर्स और हिजड़ों की ज़िन्दगी का भयावह सच दिखाती है. ये हमको एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जो हमारे लिए एकदम नयी और अजनबी है. छोटी बच्चियों जिनको खुद उनके घर वालों द्वारा ही, ज़बरदस्ती देह व्यापार में उतार दिया जाता है और फिर वो ताउम्र इसी कीचड में फंसी रहती हैं. पेशे के लिहाज से बूढी हो जाने पर वो नयी छोटी लड़कियों को धंधे में उतारने लगती हैं और खुद उस चकले की मैडम यानी बॉस बन जाती हैं. और एक दिन सुखी घर-परिवार का सपना लिए सदा के लिए ऑंखें मूँद लेती हैं.

ये किताब उन अँधेरी गलियों में ले जाती है जहाँ से वापसी का कोई रास्ता नहीं है. इस समाज के उजालों के पीछे छिपा काला, डरावना, घिनौना सच है जो इसी समाज में पोषित होता रहा है. 2005 में डांस बारों के बंद हो जाने के बाद से बार डांसर्स के सामने भारी संकट आ गया. वे देह व्यापार करने, भीषण गन्दगी में रहने और अपराध की दुनिया में उतरने पर मजबूर हो गयीं. कईयों ने आत्महत्या भी कर ली. एड्स का खतरा हमेशा उनके सिर पर मंडराता रहता है.

लेखिका सोनिया फेलेरो की तारीफ़ इस बात के लिए करनी चाहिए कि देह की दलदली दुनिया के पात्रों की कहानियां सुनाते हुए वे उन पात्रों के लिए भी मानवीयता और संवेदना का धागा अपने हाथ में थामे रहती हैं. इसका उदाहरण ये है कि बार डांसर लीला के गायब हो जाने पर वो उसको ढूंढने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देती है और उसके पैसे और नौकरी से मदद करने का प्रस्ताव भी देती है.

किताब बताती है कि कमाटीपुरा का नाम कमाटी जनजाति के कारीगरों और मजदूरों के नाम पर रखा गया था. 1800 के आखिरी दौर में अकाल से बचने के लिए वो आंध्र प्रदेश से बम्बई आ गये थे. उनके आदमी बजरी से मजदूरी करते और कमाटी औरतें बीड़ियाँ बनाती… 1917 में बम्बई के अंग्रेज पुलिस कमिश्नर स्टीफन एडवर्ड्स ने इन परिवारों को क्रम विकास की निम्न दशा वाले कहा था. कमाटीपुरा को हाशिये पर डाले जाने से सभी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा मिला, जिसमें जुआ और नशीली वस्तुओं का बेचना भी शामिल था. आने वाले वक़्त में ये इलाका बम्बई के रेड लाइट इलाके के रूप में जाने जाना लगा.

लेखिका सोनिया फेलेरो की तारीफ़ इस बात के लिए करनी चाहिए कि देह की दलदली दुनिया के पात्रों की कहानियां सुनाते हुए वे उन पात्रों के लिए भी मानवीयता और संवेदना का धागा अपने हाथ में थामे रहती हैं. इसका उदाहरण ये है कि बार डांसर लीला के गायब हो जाने पर वो उसको ढूंढने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देती है और उसके पैसे और नौकरी से मदद करने का प्रस्ताव भी देती है.

मुंबई के रेड लाइट एरिया के बारे में हमारी धारणाओं का आधार प्राय: साहित्यिक कहानियों –उपन्यासों और हिंदी सिनेमा के आस पास होता है. यह किताब उन धारणाओं को चुनौती देती है, नयी सूचनाएँ देते हुए नयी तरह से इस संसार को देखने का नज़रिया भी देती है. मुंबई के अपराध जगत के दो पहलू–अंडरवर्ल्ड और रेड लाइट एरिया सामान्य रुचि के लोकप्रिय विषय हैं इस लिहाज से ये किताब लोकरुचि के विषय पर एक शोधपूर्ण अध्ययन है जिसे गम्भीरता पूर्वक पढ़ा और समझा जाना चाहिए.

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इरा टाक : लेखक, चित्रकार और फ़िल्मकार हैं. वर्तमान में मुंबई रह कर अपनी रचनात्मक यात्रा में लगी हैं. दो काव्य संग्रह—अनछुआ ख़्वाब, मेरे प्रिय, कैनवास पर धूप; कहानी-संग्रह—रात पहेली, नोवेल—रिस्क@इश्क़, मूर्ति; औडियो नॉवेल— गुस्ताख़ इश्क़; लाइफ लेसन बुक्स—लाइफ सूत्र और RxLove366 प्रकाशित। शॉर्ट फिल्म्स—फ्लर्टिंग मैनिया, डब्लू टर्न, इवन दा चाइल्ड नोज और रेनबो उनके खाते में दर्ज़ हैं। कलाकार के रूप में नौ एकल प्रदर्शनियाँ कर चुकी हैं। इरा आजकल एक प्रॉडक्शन हाउस के लिए फीचर फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रही हैं। इरा से आप  इस ईमेल के जरिये संपर्क कर सकते हैं—eratak13march@gmail.com                                   


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