शशिभूषण द्विवेदी
कई बार कुछ किताबें भविष्यवाणी की तरह होती हैं। स्कॉटलैंड में जन्में और पले-बढ़े पीटर मे का ‘लॉकडाउन’ एक ऐसा ही उपन्यास है जो 2005 में बर्डफ्लू की महामारी के परिप्रेक्ष्य में लिखा गया था। अब कोविड-19 महामारी के दौर में यह नए रूप में नए संदर्भों के साथ सामने आया है। पीटर मे पेशे से पत्रकार रहे हैं और महज इक्कीस साल की उम्र में ही पत्रकारिता के लिए पुरस्कृत हो चुके थे। उनका पहला उपन्यास छब्बीस साल की उम्र में आया। इसके बाद पत्रकारिता छोड़ वे बीबीसी के लिए ड्रामा लिखने लगे। उन्होंने कई चर्चित टीवी धारावाहिक भी लिखे और अंतत: अपने पहले प्रेम लेखन की ओर लौट आए। अब तक उनके बाईस-तेईस उपन्यास छप चुके हैं। हालांकि ‘लॉकडाउन’ उनका कोई महान उपन्यास नहीं है।
यह महज एक क्राइम-थ्रिलर है लेकिन दुनिया के वर्तमान परिदृश्य को बहुत शिद्दत से उकेरता है और पाठकों को यह आज की और बिल्कुल अपनी कहानी लग सकती है। शुरुआत में इस उपन्यास को कोई प्रकाशक छापने को तैयार नहीं था क्योंकि उन्हें लगता था कि यह सब कपोल-कल्पना है और एेसा कुछ नहीं होने वाला। लेकिन वक्त ने उन्हें गलत साबित कर दिया। खैर, कहानी लंदन की है जहां एक वायरस का तेजी से संक्रमण होता है और हजारों-लाखों लोग मरने लगते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस वायरस से करीब पच्चीस प्रतिशत लोग संक्रमित होंगे और उनमें से सत्तर से अस्सी प्रतिशत लोगों के मरने की संभावना है। प्रशासन फौरन पूरे लंदन में तालाबंदी कर देता और लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो जाते हैं। लेकिन अराजकता फैलती है और मार्शल लॉ लागू करना पड़ता है। स्वास्थ्य और दूसरी अनिवार्य सेवाओं पर जरूरत से ज्यादा बोझ पड़ जाता है। इसी बीच एक अस्थाई अस्पताल की निर्माणाधीन इमारत में काम कर रहे मजदूरों को एक थैला मिलता है जिसमें एक बच्चे की हड्डियां मिलती हैं। हत्यारे ने बच्चे को मारकर उसकी हड्डियां यहां छुपा रखी थीं।
डी.आई. जैक मैकनील को इस अपराध के जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। मैकनील के रिटायर होने में कुछ ही घंटे बाकी हैं। उनका परिवार भी वायरस से संक्रमित है और उनका दांपत्य जीवन में खतरे में पड़ गया है। फिर मैकनील सब कुछ भुलाकर अपना कर्तव्य निभाते हैं और इस मामले की गहरी छानबीन में जुट जाते हैं। शैतानी ताकतें मैकनील पर नजर रखे हुए हैं ताकि वे सच्चाई तक न पहुंच सके। पूरा उपन्यास इसी तिलिस्म में बुना गया है कि मैकनील को सच्चाई तक पहुंचने में पहले कौन रोक पाएगा-शैतानी ताकतें या वह वायरस जिसने पूरे लंदन को घरों में कैद कर रखा है। एक तरफ वायरस से संक्रमित उनका परिवार है और दूसरी तरफ हत्या से जुड़ी गुत्थी। अंत में जीत मैकनील की ही होती है।
‘लॉकडाउन’ : पीटर मे [उपन्यास], रिवररन पब्लिकेशन। किताब किंडल पर उपलब्ध है, कुछ फ्री टेक्स्ट को इस लिंक पर जा कर पढ़ सकते हैं।
शशिभूषण द्विवेदी : 1965 में जन्म। पेशे से पत्रकार। कहानी-संग्रह ‘ब्रह्महत्या तथा अन्य कहानियाँ’ और ‘कहीं कुछ नहीं’ प्रकाशित। कुछ देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद। भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार। आठ शहर नौ नौकरियाँ और बीस से ज्यादा घर बदलने के बाद फिलहाल साहिबाबाद, उत्तर प्रदेश में निवास। इनसे आप इस ईमेल shashibd1@gmail.com पते पर संपर्क कर सकते हैं।