‘कैनवस पर धूप’

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इरा टाक लेखक, चित्रकार और फिल्मकार हैं। वर्तमान में मुंबई रह कर अपनी रचनात्मक यात्रा में लगी हैं। दो काव्य संग्रह – अनछुआ ख़्वाब, मेरे प्रिय, कहानी संग्रह – रात पहेली, नॉवेल – रिस्क @ इश्क़, मूर्ति, ऑडियो नावेल- गुस्ताख इश्क, लाइफ लेसन बुक्स- लाइफ सूत्र और RxLove366, ये काव्य संग्रह कैनवस पर धूप उनकी नौवी किताब है. शॉर्ट फिल्म्स – फ्लर्टिंग मैनिया, डब्लू टर्न, इवन दा चाइल्ड नोज और रेनबो उनके खाते में दर्ज़ हैं। कलाकार के रूप में नौ एकल प्रदर्शनियां कर चुकी हैं। इरा आजकल एक प्रोडक्शन हाउस के लिए फीचर फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रही हैं।

‘कैनवस पर धूप’ इरा की नौंवी किताब है. यह हाल ही में किंडल पर रिलीज हुई है. इसमें 76 कवितायेँ हैं. जीवन के हर पहलू को इरा ने इसमें समेटा है. उम्मीद है आपको ये दिल के करीब लगेंगी. इसी संग्रह से कुछ कविताएँ–

मत करो बदलने पर मजबूर

चाहो यूं हमेशा

जैसे पहली नज़र में चाहा था

प्रेम में बदला नहीं जाता

लोग खुद निखर जाते हैं प्रेम में

ढूंढने की बजाय नए साथी

अपने साथी को रोज़

विश्वास के नए रंग दो

प्रेम को रखो ओस की तरह ताज़ा

उड़ने दो आज़ाद हवा में

मत करो पिजड़े में कैद

पिंजरे से छूटा पंछी

कभी वापस नहीं आता

आज़ाद पंछी रोज़ लौटता है

उस मुंडेर पर जहां

उसे प्रेम मिलता है

बिना करे कोई मिलावट

बने रहने दो जीवन के इस

सुंदरतम अहसास को

अपने  शुद्धतम रूप में !

०००

टूटा है धीमे धीमे भीतर बहुत कुछ

की है चुपचाप मरम्मत कई बार

बारिशों में रोते हुए धूप में मुस्कराई हूं

जूझते हुए खुद से दुनिया से टकराई हूं

मैं मकान नहीं गली के कोने में बना हुआ

इसलिए मेरी दरारे नज़र नहीं आतीं

०००

दो छोर

दो दिशाएं

मीलों के फासले

बंदिशों की दीवारें

फिर भी प्रेम

जोड़ता है मुझे

तुमसे

जैसे

विषुवत रेखा

नापती है

धरती के उन हिस्सों को

जो दूर होते हुए भी

एक से है

मेरे प्रिय !

कितना कुछ  था

जो डराता था अतीत में

लगता था पार हो नहीं दिखेगा

नया सवेरा

पर दिखा सूरज

पहले से ज्यादा चमकीला

कितना कुछ है जो डराता है

वर्तमान में

पर अतीत में न टिका जो तम

वो भविष्य तक भी न जाएगा

एक एक दिन जीत

अगले दिन तक की यात्रा

हौसलों से ही तो तय होती है

०००

जब भीड़ छट जाए

जब सूरज डूब कर

चांद को रास्ता दे

जब हवाएं पूरे जोश में

दुनिया

उड़ा देने को आमादा हों

जब अंधेरे निगलने लगें

रोशनी को

और चराग सो जाएं

जब रंग कम होने लगें

जब तुम खुद से थक

एकांत में अपना

मन टटोलो

अगर मैं कहीं नजर आऊं

तो फोन करना

०००


यह रहा अमेज़न लिंक



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