एक आत्मिक बंधन

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पल्लवी प्रकाश

I seem to have loved you in numberless forms, numberless times…
In life after life, in age after age, forever. –Tagore

रवीन्द्रनाथ टैगोर यहाँ प्रेम की जिस शाश्वतता की बात करते हैं, उसी की अगली कड़ी है सोलमेट. सोलमेट, यानी आत्मा का अनिवार्य साथी. वह संबंध, जहाँ आत्मा का आत्मा से सीधा जुड़ाव हो और जो संबंध सिर्फ़ इस जन्म का ही न हो, जन्म-जन्मान्तरों का हो. एक ऐसा आत्मिक सम्बन्ध, जो बिना किसी जरूरत, बिना किसी स्वार्थ के बना हो. दो लोगों के बीच ऐसा सम्बन्ध जहाँ खामोशियाँ  भी बात करती हों और एक-दूसरे की ख़ुशियां और दुःख भी स्वत: बंट जाए आधे-आधे. एक ऐसा संबंध, जो एक-दूसरे को पूर्णता का अहसास कराये, जहाँ एक को देख कर दूसरे को अपना प्रतिबिम्ब दिखाई दे. सोलमेट वह होता है जिसके आने से हमारे जीवन की दशा और दिशा, दोनों में ही जबर्दस्त बदलाव आता है. जिसके आने के बाद ही पता चलता है कि जीवन अब तक कितना अधूरा और निरर्थक था.

इसी सोलमेट शब्द को बहुत सुंदर और प्रभावी तरीके से व्याख्यायित करने का प्रयास किया है डॉ ब्रायन वेज़ ने अपनी इस किताब “ Only Love is Real : The Story of Soulmates Reunited “ में. डॉ ब्रायन वेज सोलमेट शब्द को परिभाषित करते हुए बताते हैं कि सोलमेट हमेशा रोमैंटिक हो यह जरूरी नहीं है. हमारा सोलमेट कोई भी हो सकता है, प्रेमी, भाई, माँ, दोस्त या और कोई. कई बार लोग लाइफ पार्टनर और सोलमेट को एक ही मानने की भूल करते हैं, लेकिन डॉ वेज़ के अनुसार कोई जरूरी नहीं कि हमारा लाइफ़ पार्टनर हमारा सोलमेट भी हो. दोनों अक्सर अलग होते हैं लेकिन कभी-कभी एक भी हो सकते हैं. सोलमेट का दिल में रहना ज़रूरी होता है, घर में रहना नहीं. हज़ारों मील की दूरी भी इस संबंध को कमजोर नहीं कर पाती क्योंकि यहाँ मामला दिल में रहने का होता है. शायद ऐसी स्थिति के लिए ही दाग़ देहलवी ने कहा है—

ख़ुदा रखे मुहब्बत ने किये आबाद घर दोनों 
मैं उनके दिल में रहता हूं वो मेरे दिल में रहते हैं 

सोलमेट को पहचानने के लिए दिल की और सिर्फ़ दिल की आवाज़ सुननी चाहिए, क्योंकि अगर दूसरों की सलाह पर चलें तो सोलमेट को खो देने का डर हो सकता है. डॉ ब्रायन वेज़ इसीलिए कहते हैं,

“If you rely exclusively on the advice of others, you may make terrible mistakes. Your heart knows what you need. Other people have other agendas.

डॉ ब्रायन वेज़ इस किताब को लिखने के पहले “Many lives, Many masters” और “Through time into healing” लिख चुके थे और ये दोनों ही किताबें बेस्टसेलर थीं. येल यूनिवर्सिटी से मेडिकल की डिग्री लेने वाले डॉ वेज़ प्रो. के रूप में यूनिवर्सिटी ऑफ़ पिट्सबर्ग और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मियामी में काम भी कर रहे थे, साथ ही माउन्ट सियामी मेडिकल सेंटर के साइकियेट्री डिपार्टमेंट के चेयरमैन भी थे. अपनी पेशेंट, कैथरीन के पूर्वजन्म के अनुभवों के आधार पर उनकी पहली किताब आई थी, जिसे लिखने के बाद उनकी एक मेडिकल प्रोफेशनल और प्रोफ़ेसर के रूप में प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई थी, डर था कि एक पढ़ा-लिखा डॉ, (जो उस ईसाई धर्म को मानता हो जिसमें पूर्वजन्म पर विश्वास नहीं किया जाता), पूर्वजन्म की न सिर्फ़ बात करे, बल्कि उस पास्ट लाइफ़ रिग्रेशन को एक चिकित्सा पद्धति के रूप में इस्तेमाल करे, मेडिकल साइंस की किताबों में जिसका कहीं जिक्र तक नहीं, उसे पाठक कितनी गंभीरता से लेंगे. लेकिन यह आशंका निर्मूल सिद्ध हुई, पहली किताब न सिर्फ़ बेस्टसेलर हुई बल्कि उस किताब को पढ़ कर कैथरीन की तरह कई लोग और भी आये अपनी कई समस्याओं के समाधान के लिए. दूसरी किताब में ब्रायन वेज़ ने हीलिंग पद्धति के बारे में बताया है.

इस तीसरी किताब को लिखे जाने के पीछे की पृष्ठभूमि दिलचस्प है. ब्रायन वेज़ एक ही समय में अपने दो पेशेंट के लिए पास्ट लाइफ़ रिग्रेशन थेरेपी का इस्तेमाल कर रहे थे. इनमें से पहली थी एक सुंदर स्त्री, एलिज़ाबेथ, जो मिडवेस्ट से थी, जिसने कुछ महीनों पहले अपनी माँ की अकस्मात मृत्यु को झेला था और जिससे वह अब तक उबर नहीं पाई थी. एलिजाबेथ तलाकशुदा थी और उसे हमेशा गलत पार्टनर ही मिलते आ रहे थे या वह गलत लोगों को ही चुनते आ रही थी. उसे इस बात का अहसास भी था कि अब तक जितने रिश्ते उसे मिले वे वस्तुत: टॉक्सिक रिश्ते ही थे और जिस तरह के संबंध की उसे तलाश थी वह अब तक नहीं मिला.

एलिजाबेथ अंदर से इतना टूट गयी थी कि अब उसे नये रिश्तों को तलाशने की सम्भावना से भी डर लगता था. दूसरी तरफ़ मेक्सिकन पुरुष पेड्रो था, जिसने भी कुछ समय पहले ही अपने भाई को खोया था और उसकी भी समस्याएं एलिज़ाबेथ की तरह ही थीं, टूटे रिश्तों की कचोट और नये रिश्तों से डर. इन दोनों की चिकित्सा के दौरान ब्रायन वेज़ को धीरे-धीरे यह अहसास हो गया कि एलिजाबेथ और पेड्रो के पूर्वजन्म से सम्बन्धित कई अनुभवों में समानता है. वे दोनों सोलमेट हैं, जो पिछले कई जन्मों से मिलते और बिछुड़ते आ रहे हैं लेकिन इस जन्म में वे दोनों कभी मिले नहीं थे. पेड्रो और एलिजाबेथ दोनों को ही इस रिग्रेशन से काफी फ़ायदा हुआ था और कुछ ही दिनों में पेड्रो शहर छोड़ कर जाने वाला था. डॉ वेज़ दोनों को मिलवाना चाहते थे, लेकिन वे खुल कर यह नहीं बोल सकते थे कि दोनों एक दूसरे के सोलमेट हैं, क्योंकि मेडिकल एथिक्स आड़े आ रहा था, जिसमें किसी पेशेंट की निजता भंग नहीं की जाती. बहुत सोचने पर उन्होंने पेड्रो और एलिजाबेथ को एक ही समय पर बुलाया, दोनों ने एक दूसरे को हाय-हैलो भी किया और फिर चले गए. ब्रायन वेज़ बहुत निराश हुए. लेकिन फिर बाद में संयोग कुछ ऐसा बना कि जिस दिन पेड्रो शहर छोड़ कर जा रहा था, उस दिन एयरपोर्ट पर एलिज़ाबेथ को भी आना पड़ा किसी बिजनेस मीटिंग के लिए. जिस फ्लाईट से एलिजाबेथ को जाना था वह कैंसिल हो गई और उसे भी पेड्रो की फ्लाईट में ही आना पड़ा और उस यात्रा के दौरान ही दोनों को अपनी बातचीत के दौरान पता चल गया कि वे दोनों सोलमेट हैं, और रिग्रेशन में वे जिसे देखते थे, अब एक-दूसरे के प्रत्यक्ष सामने हैं. कहने की जरूरत नहीं कि अपने जीवन के जिस खालीपन से एलिज़ाबेथ और पेड्रो दोनों ही अलग-अलग जूझ रहे थे, वह खालीपन उसी क्षण भर गया जब वे दोनों अपनी उस हवाई यात्रा में एक-दूसरे से मिलें. जिस तरह से एलिज़ाबेथ और पेड्रो का मिलना संभव हुआ वह किसी करिश्मे से कम नहीं था और उसके लिए पाउलो कोहेलो के शब्दों में कहा जा सकता है,

“..when you want something, all the universe conspires in helping you to achieve it.”

एलिजाबेथ जब ब्रायन वेज़ के पास आई थी तो उसने कहा था कि मेरा जीवन कैथरीन की तरह ड्रामैटिक नहीं, इसलिए मेरे अनुभवों पर कोई किताब नहीं हो पाएगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा और यह तीसरी किताब एलिजाबेथ की वजह से ही सम्भव हो पाई. एलिज़ाबेथ और पेड्रो के जन्म-जन्मांतर के सम्बन्धों के माध्यम से डॉ ब्रायन वेज़ न सिर्फ़ सोलमेट शब्द को सार्थक तरीके से व्याख्यायित करते हैं, बल्कि प्रेम की शाश्वतता और निरन्तरता को भी सुंदर तरीके से व्यक्त करते हैं. यह किताब हर उस व्यक्ति को जरूर पढनी चाहिए जिसे अपने सोलमेट की तलाश हो.


ओनली लव इज रियल – द स्टोरी ऑफ सोलमेट्स रीउनाइटेड : डॉ. ब्रायन वेज़, प्यात्कस, मू. 330 रुपये मात्र


पल्लवी प्रकाश : जेएनयू से एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी.। रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, मुम्बई में असिस्टेंट प्रोफेसर, (हिंदी), पी.जी.एस.आर.। लेखिका से इस ईमेल पते पर संपर्क किया जा सकता है—pallaviprakash123@gmail.com


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