क्या यूरोपीय पुनर्जागरण के महानायक लियोनार्दो दा विंची भी समलैंगिक थे?

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विमल कुमार

संभव है आप लोगों में कुछ लोगों को यह जानकर आश्चर्य लगे पर उनके बारे में यह कोई नया रहस्योद्घाटन नहीं है बल्कि उनके कई जीवनीकारों ने इस बारे में लिखा है। विंची पर सोडोमी यानी गुदासंसर्ग का भी आरोप 1476 में लगा था पर अदालत में सबूत के अभाव में उन्हें बरी कर दिया था। उनपर अपने मित्रों के साथ एक पुरुष वेश्या के साथ यौन सम्बंध बनाने का आरोप था तब विंची की उम्र 24 साल थी लेकिन गवाही के अभाव में उन्हें बरी किया गया और चेतावनी दी गई कि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृति नही होनी चाहिए। संयोग से उन पर दोबारा यही आरोप लगा और तब भी कोई गवाह नही मिला और वे बरी हुए। इसलिए कानूनी रूप से वे अपराधी नही थे और तब इस बात का कोई सबूत नही मिला कि वे समलैंगिक है। लेकिन कहानी यही खत्म नही होती।

तीन वर्ष पूर्व मशहूर पत्रकार वाल्टर इसैक्सन ने विंची की एक जीवनी लिखी है जो पिछले कुछ सालों से चर्चा में है  और दुनिया के सभी प्रमुख अखबारों गार्डियन से न्यूयार्क टाइम्स तक और टाइम्स जैसी पत्रिकाओं तक में वह सराही गयी। संडे टाइम्स ने इस किताब को बुक ऑफ द ईयर घोषित किया। हालांकि इस सदी के तीसरे दशक के अंत में विंची पर केनेथ क्लर्क ने 1939 में ही एक जीवनी लिखी थी जिसे पेंगुइन ने छापा था और केम्प मार्टिन ने  भी 19 81 में एक महत्वपूर्ण जीवनी लिखी थी। सात साल बाद 1988 में केनेथ क्लार्क की संशोधित जीवनी आई  तो उसके 5 साल बाद 1993 में ए रिचर्ड टर्नर ने विंची पर किताब लिखी। इस बीच अन्य किताबें भी उन पर आई। इस से पता चलता है कि विदेशों में अपने नायकों को जानने समझने की कितनी ललक है और एक ही व्यक्ति पर  कितनी जीवनियां लिखी जाती हैं। वहां के पाठक अपने नायकों के जीवन के नित्य नए पहलुओं को जानना चाहते है शायद इसलिए उनकी जीवनियां कई बार लिखी जाती हैं जबकि हिंदी में एक ही जीवनी बड़ी मुश्किल से लिखी जाती है और उसमे भी वह शोध अनुसंधान नही दिखता जो आंग्रेजी की किताबों में दिखता है। वाल्टर की यह किताब  2017 में आई है। इसमे तो करीब सत्तर पेजों में सन्दर्भ ग्रन्थों और स्रोतों का हवाला तथा इंडेक्स है। इस से आप सहज अनुमान लगा सकते हैं कि अँग्रेजी में एक जीवनी लिखने में कितनी मेहनत की जाती है जबकि रजा फाउंडेशन से प्रकाशित जीवनियों को आप पढ़े तो इस दृष्टि से निराशा होगी यद्यपि वह हिंदी की जीवनियों की परंपरा को देखते हुए बहुत बुरी नही है।

विंची पर समय-समय पर लिखी गयी बातों में कुछ नयी बातें सामने आती रही है, और विंची के जीवन से जुड़े अब सारे तथ्य सामने आ गए है। इसलिए अब उनके बारे में नए तथ्यों की उम्मीद कम नजर आती है। वाल्टर ने  तथ्यों को जुटाने में कोई कसर नही छोड़ी है। 15 अप्रैल 1452 में जन्मे विंची के अब करीब 550 वर्ष हो गए।  विंची गैलीलियो से 112 साल पहले पैदा हुए थे।


विंची पर समय-समय पर लिखी गयी बातों में कुछ नयी बातें सामने आती रही है, और विंची के जीवन से जुड़े अब सारे तथ्य सामने आ गए है। इसलिए अब उनके बारे में नए तथ्यों की उम्मीद कम नजर आती है। वाल्टर ने  तथ्यों को जुटाने में कोई कसर नही छोड़ी है। 15 अप्रैल 1452 में जन्मे विंची के अब करीब 550 वर्ष हो गए।  विंची गैलीलियो से 112 साल पहले पैदा हुए थे।


वैसे विंची के बारे में सबसे पहले जो कुछ लिखा गया वह उनके समकालीन चित्रकार वसारी ने ही लिखा जिसने 1550 में उस दौर के चित्रकारों पर एक किताब lives of the most eminent painters sculptors and architects  लिखी और बाद में उसने अपनी आत्मकथा भी लिखी। लेकिन वसारी की किताब के बारे में कुछेक लोगों ने यह भी कहा कि उसमे कपोलकल्पित बाते भी है और गप्प तथा गलतियां भी हैं लेकिन सभी इतिहासकारों ने वसारी के लिखे को आधार सामग्री बनाया क्योंकि उसने इस महानायक के बारे में कई आधारभूत जानकारियां दी है क्योंकि वह उस दौर का साक्षी था। 1560 में लोमज़्ज़ो नामक पेंटर की ड्रीम्स एंड आर्गुमेंट नामक एक पांडुलिपि मिलती है जो अप्रकाशित है। वह विंची के परिचित पेंटर का शिष्य था। उसने विंची की समलैंगिक रुझान के बारे में लिखा है। विंची की नोटबुक भी उसके जीवन के बारे में बहुत कुछ कहती है जो अब प्रकाशित हो गई है। इस नोटबुक की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिल गेट्स ने उसके 72 पेज 4.83 मिलियन डॉलर में खरीद लिया है। 1883 में भी विंची पर एक किताब का जिक्र मिलता है। 1910 में फ्रायड ने विंची पर किताब लिखी और उनकी पेंटिंग्स का मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया, तब से लेकर बहुत किताबें विंची पर लिखी गयी। इस से पता चलता है कि विंची की समलैंगिकता की बात कोई छिपी बात नही रही और उस से उसकी कोई छवि नही खराब या धमिल हुई बल्कि वह मानव सभ्यता में पुनर्जागरण पुरुष माने गए।

यूरोपीय समाज में भारतीय आधुनिक समाज की तरहः समलैंगिकता को उतने आग्रह पूर्वग्रह नही होते। यूनानी समाज मे भी यह प्रचलित रहा। शायद यही कारण है कि प्लेटो से लेकर बेन्थम तक और ऑस्कर वाइल्ड से लेकर ब्रेख्त तक सभी के समलैंगिक जीवन के बारे में यह बातें कहीं और लिखीं जाती रही है पर हिंदी की दुनिया में लेखकों के यौन प्रसंगों को छिपाया जाता रहा है। नागर्जुन प्रसंग इसका एक ताजा उदाहरण है। इन बातों को निजी प्रसंग कह कर टाल दिया जाता रहा है या उन्हें उनकी जीवनियों में शामिल नही किया जाता। निराला उग्र वेश्याओं पर जाने के प्रसंग में एक तरह की चुप्पी हिंदी में रही लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह नहीं है विंची समलैंगिक थे या नहीं। वाल्टर ने भी इस प्रसंग को अधिक तवज्जो नहीं दी है और उनकी जीवनी का मकसद इसे सनसनीखेज बनाना नहीं है पर उन्होंने सभी तथ्यों को पेश किया है। उन्होंने वसारी को उद्धृत किया है लेकिन कोई सबूत नही पेश किया है बल्कि संकेत दिया है जिसकी चर्चा आगे की जाएगी।

इस महानायक के बारे में सबसे बड़ी बात यह है खुद भी अपने माता-पिता की अवैध संतान थे और आजीवन इन्होंने शादी नहीं की। वे कभी स्कूल नही गए पर दुनिया को अपनी महान प्रतिभा से अभिभूत कर दिया। ‘मोनालिसा’ और ‘लास्ट सपर’ जैसी विश्व प्रसिद्ध कलाकृतियां ही केवल उनकी पहचान नही है बल्कि वह एक-एक मूर्तिकार एक शिल्पकार एक इंजीनियर खगोलविद एक-एक गणितज्ञ के अलावा शास्त्र निर्माता शरीर संरचना विज्ञानी भी थे। इसलिए मानव इतिहास में उन्होंने सर्वाधिक बहुमुखी प्रतिभा का प्रतीक माना गया है।


इस महानायक के बारे में सबसे बड़ी बात यह है खुद भी अपने माता-पिता की अवैध संतान थे और आजीवन इन्होंने शादी नहीं की। वे कभी स्कूल नही गए पर दुनिया को अपनी महान प्रतिभा से अभिभूत कर दिया। ‘मोनालिसा’ और ‘लास्ट सपर’ जैसी विश्व प्रसिद्ध कलाकृतियां ही केवल उनकी पहचान नही है बल्कि वह एक-एक मूर्तिकार एक शिल्पकार एक इंजीनियर खगोलविद एक-एक गणितज्ञ के अलावा शास्त्र निर्माता शरीर संरचना विज्ञानी भी थे। इसलिए मानव इतिहास में उन्होंने सर्वाधिक बहुमुखी प्रतिभा का प्रतीक माना गया है।


सीएनएन के चेयरमैन रह चुके हैं और टाइम मैगजीन के प्रबंध संपादक वाल्टर ने विंची की जीवनी लिखने से पहले  हेनरी किसिंगर और बेंजामिन फ्रैंकलीन के अलावा स्टीव जॉब की भी जीवनी लिखी है और वह और उनकी जीवनी ओवरटाइम से लेकर संडे टाइम्स गार्जियन ऑब्जर्वर और अन्य पत्रिकाओं में बहुप्रसिद्ध भी रही है। अगर वाटर की इस जीवनी के सामने रजा फाउंडेशन से प्रकाशित कई महत्वपूर्ण लेखकों और कलाकारों की जीवनी को सामने रखा जाए तो यह पता चल जाएगा कि वाल्टर ने कितनी मेहनत की है और इतने विस्तृत स्रोतों का सहारा लिया है। विंची पर पहले अनेक जीवनियां आ चुकी है इसलिए वाल्टर का काम अपेक्षाकृत आसान हो गया होगा। पर 600 पेज की इस जीवनी में 70 पृष्ठों में संदर्भ ग्रंथ की सूची है और अन्य स्रोतों का की भी सूची है। यह सूची इतनी विस्तृत है कि पता चलेगा की अंग्रेजी में किस तरह जीवनियां लिखी जाती हैं जबकि हिंदी में लिखी गई जीवनियों में शोध एवं अनुसंधान बहुत कम होता है। वाल्टर ने विंची की जीवनी को 33 अध्याय में विभक्त किया है। इन 35 अध्याय में जीवन काल से लेकर मरने तक की उसकी संपूर्ण गाथा मौजूद है।

विंची का जीवन काल 5 शहरों में बीता। 1452 से 64 तक विंची में 1464 से लेकर 1482 तक फ्लोरेंस में और 1482 से लेकर 1499 तक मिलान में 1500 से लेकर 1506 में फ्लोरेंस में फिर 1506 से लेकर 1513 तक मिलान में और 1513 से लेकर 1516 तक रूम में और 1516 से लेकर 1519 तक फ्रांस में जीवन बिता।

वाल्टर ने लिखा है कि दुनिया भले ही विंची को “मोनालिसा ‘और ‘लास्ट सपर’ जैसी बेस्ट पेंटिंग के माध्यम से जानती हो लेकिन विंची खुद को एक वैज्ञानिक और इंजीनियर  अधिक मानते थे और उन्होंने अपनी नौकरी के लिए मिलान के शासक को जो पत्र लिखा था उसमें उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि उन्हें अभियांत्रिकी का  कौशल प्राप्त है और वह पुलों तोपों तथा सशस्त्र उपकरणों तथा वाहनों की डिजाइन कर सकते हैं तथा जलमार्गों और इमारतों का भी निर्माण कर सकते हैं। पत्र के अंत में उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि वह एक चित्रकार भी लेकिन अपनी किसी पेंटिंग का जिक्र नही किया था।   

विंची ने अपने उस पत्र में यह भी लिखा था कि वह चट्टान पर बने किसी किले को भी ध्वस्त कर सकता है अगर किसी बम से उसे ध्वस्त करने में कुछ दिक्कत आ रही हो। उन्होंने यह भी लिखा था कि वह भूमिगत सुरंग भी बना सकता है बिना किसी शोर-शराबे के और और उसे किसी नदी के मुहाने से भी जोड़ सकता है। उन्होंने पत्र में ऐसे ताकतवर कुशल रथ बनाने की भी बात कही है जो दुश्मन की सेना को में प्रवेश कर उसे रौंद सकता है। विंची के पत्र से लगता है कि उन्हें इन सारे कार्यों में महारत हासिल थी और उनके लिए चित्रकार रूप अधिक महत्वपूर्ण नही था।

वाल्टर ने लिखा है कि विंची के समय सोडोमी गैर कानूनी जरूर था पर समलैंगिकता असामान्य बात नहीं थी। विंची की नोटबुक में समलैंगिकता के संकेत मिलते हैं। उसने अपने लिंग और उसके ऊर्ध्व होने के बारे में लिखा है और या स्वीकार किया है कि हम लोग लिंग के बारे में बात करने से सकुचाते है। विंची ने कई नग्न ड्राइंग भी बनाये हैं जिसमे उसका शिष्य प्रेमी सलाई भी शामिल है जो उनके साथ युवावस्था से ही रहता था और उसने कई बार विंची के कीमती सामान भी चुराए पर ऐसा प्रतीत होता है कि विंची उस पर इतना आसक्त था उसने उसे हटाया भी नहीं।

विंची का जन्म शनिवार के दिन हुआ था लेकिन उसके पिता पीएरो ने उसकी माँ से शादी नहीं की थी बल्कि वह एक गुलाम रखैल थी। विंची के पिता ने चार शादियां की थी और उस से उनके दसेक संतानें थी। जब विंची 24 साल के थे तब तक उसके पिता की कोई दूसरीं संतान नही हुई थी।

विंची की मां कैटरीना लिप्पी थी जिसने बाद में अकॉटब्रिगा से शादी कर ली। अकॉटब्रिग्गा की 4 लड़कियां और एक लड़का कैटरीना से हुआ। विंची के पिता ने कैटरीना को त्याग दिया जिसके कारण कैटरीना को शादी करनी पड़ी। इस तरह विंची का जीवन बहुत ही कष्ट मे गुजरा। उस पर बहुत मानसिक असर भी पड़ा होगा। फ्रायड ने शायद इसलिए विंची के चित्रों में एक तरह के मनोविज्ञान को खोजने का प्रवास किया। विंची ने अपनी नोटबुक में भी लिखा है कि सन्तानोपत्ति के लिए एक स्त्री और पुरुष में दो तरह से समागम होते हैं जिनमें एक समागम में दोनों तरफ से समान रूप से प्रेम का आवेग होता है, तब उसकी संताने प्रतिभाशाली जन्म लेती हैं। विंची शायद अपने को इस दूसरी श्रेणी की संतान समझते थे।

वाल्टर ने इस पुस्तक में विंची की नोटबुक पर एक अलग अध्याय लिखा है। इसके अलावा दो विश्वप्रसिद्ध  कलाकृतियों मोनालिसा और लास्ट सपर के अलावा virgin of the rocks और saint Anne पर भी एक-एक अध्याय लिखा है। अंत मे विंची की मृत्यु के बारे में भी लिखा है तब विंची फ्रांस में था और किंग फ़्रांसिस एक का चहेता  बन गया था और राजा ने अपने किले के पास एक महलनुमा घर विंची को दे दिया था। कहा जाता है कि विंची की मृत्यु भी फ़्रांसिस की बाहों में हुई थी और इस तरह की एक पेंटिंग भी इस किताब में दी गई है जिसमे विंची को मृत्युशय्या पर राजा की बाहों में मरते हुए दिखाया गया है।


विंची आज एक मिथक बन चुके है। उनकी मोनालिसा पेंटिंग पर कई किताबें फ़िल्म बन चुकी है और कई फेक पेंटिंग भी बन चुकी है। ‘मोनालिसा’ कौन थी? क्या वास्तविक पात्र थी? उसकी मुस्कान का राज क्या था? इस पर अनेक चर्चाएं और बहस हो चुकी है।‘मोनालिसा’ भी एक तरह का प्रतीक बन गयी है। कितनी कविताएँ मोनालिसा पर लिखी जा चुकी हैं। मोनालिसा पेंटिग कमीशन कलाकृति थी तो विंची ने उसे उसके मालिक को क्यों नही दिया? इस पर भी बहस होती रही हैं।


विंची आज एक मिथक बन चुके है। उनकी मोनालिसा पेंटिंग पर कई किताबें फ़िल्म बन चुकी है और कई फेक पेंटिंग भी बन चुकी है। ‘मोनालिसा’ कौन थी? क्या वास्तविक पात्र थी? उसकी मुस्कान का राज क्या था? इस पर अनेक चर्चाएं और बहस हो चुकी है।‘मोनालिसा’ भी एक तरह का प्रतीक बन गयी है। कितनी कविताएँ मोनालिसा पर लिखी जा चुकी हैं। मोनालिसा पेंटिग कमीशन कलाकृति थी तो विंची ने उसे उसके मालिक को क्यों नही दिया? इस पर भी बहस होती रही हैं।

वाल्टर ने विंची को एक बड़े फलक पर देखा है और उसके सभी आयामों को पकड़ा है। इस किताब से विंची के जीवन के एक एक ब्यौरे को पेश किया है। विंची पर लिखी गयी अन्य किताबों से यह किताब अच्छी या बुरी है यह तो वही व्यक्ति बता सकता जिसने सभी किताबें पढ़ीं हों। विंची के बारे में विशेषज्ञ मार्टिन केम्प माने जाते हैं। उन्होंने सबसे अधिक पुस्तकें विंची पर लिखी हैं लेकिन विंची के जीवन का सबसे दुखद प्रसंग यह है कि उसके पिता ने उसे कानूनी रूप से अपना उत्तराधिकारी नही माना और बिल में संपत्ति का हिस्सा नही दिया। जीवनीकारों ने यह भी लिखा कि अच्छा हुआ कि विंची अपने पिता की वैध संतान नही था अन्यथा वह भी अपने पिता की तरह नोटरी होता लेकिन उसकी विलक्षण प्रतिभा ने उसे यूरोपीय प्रबोधन काल का युग पुरुष बना दिया।


विमल कुमार : वरिष्ठ कवि पत्रकार। कविता कहानी उपन्यास व्यंग्य विधा में 12 किताबें। गत 36 साल से पत्रकार। 20 साल से संसद कवर। चोरपुराण पर देश के कई शहरों में नाटक। ‘जंगल मे फिर आग लगी है’ और ‘आधी रात का जश्न’ जैसे दो नए कविता-संग्रह में बदलते भारत मे प्रतिरोध की कविता के लिए चर्चा में। आप लेखक से इस ईमेल पते पर संपर्क कर सकते हैं— arvindchorpuran@yahoo.com


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