Month: February 2021

कोहवर

ज्योति चावला यह कहानी एक मुसीबत से शुरू होती है या फिर कहिए एक जिम्मेदारी से। अभी ढूंढने निकली हूं एक लडकी को जो गायब है पिछले कुछ दिनों से। जिसे किसी ने नहीं देखा है इन बीते कुछ दिनों में और घरवालों का दावा यह कि कल तक तो वह यहीं थी। कल रात …

क्या मैथिलीशरण गुप्त का सही मूल्यांकन नही हुआ?

विमल कुमार रज़ा फाउंडेशन ने गत दिनों जैनेंद्र, नागार्जुन, कृष्णा सोबती और रघुवीर सहाय की जीवनियां प्रकाशित की। इस कड़ी में रजनी गुप्त द्वारा लिखी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी ‘कि याद जो करें सभी’ हाल ही में आई है। इन दिनों लखनऊ में एक बैंक मे कार्यरत रजनी जी की कहानियों और उपन्यासों से …

प्रतिरोध की नाट्ययात्रा का सूत्रधार

बालमुकुन्द आज के इस दौर में, जब एक नाट्य विधा के रूप में नुक्कड़ नाटकों की धार कमजोर हुई है, नुक्कड़ नाटकों के मसीहा सफ़दर हाश्मी को याद करना महज अपनी स्मृति को खंगालना या अपने नायकों के यशोगान की रस्मअदायगी भर नहीं है। यह प्रतिरोध की संस्कृति और उसकी ताकत को फिर से रेखांकित …

स्वीकृति और अस्वीकृति के द्वंद्व की कथा

अनिल अविश्रांत युद्ध में राजवंशों के जय-पराजय के रक्तिम वृतान्तों  के बीच इतिहास के ध्वांशेषों में कई बार बहुत सुन्दर प्रेम कथाओं की भी झलक मिलती है। इतिहास चाहे इन्हें महत्व न दे लेकिन जब एक साहित्यकार की दृष्टि इन पर पड़ती है तो ‘राजनटनी’ जैसी रचना जन्म लेती है। गीताश्री ने बारहवीं सदी के …