संजीव कुमार बात इससे शुरू करें कि जब एक लेखक किसी कालजयी कहानी के पात्रों और परिस्थितियों को उठाकर एक और कहानी लिखने की कोशिश करता है तो उसके सामने किस तरह की चुनौतियाँ होती हैं। कम-से-कम तीन तो बहुत साफ़ हैं। एक, अपने पाठक को यह ‘परतीत’ करा पाना कि हर तरह से मुकम्मल …
Month: March 2021
कविता जनाना मुसाफिरखाने में हीरा कबसे मुंह ढांके पड़ी है… न जाने उसे किसकी प्रतीक्षा है… ट्रेन की तो बिलकुल नहीं… पता है उसे कि ट्रेन के आने में अभी कई घंटे का वक्त है… तबतक हीरा करे भी तो क्या करे, सिवाय इंतजार के…. लालमोहन अबतक तो पहुँच चुका होगा फारबिसगंज… क्या अबतक उसकी …
फणीश्वरनाथ रेणु रतनी ने मुझे देखा तो घुटने से ऊपर खोंसी हुई साड़ी को ‘कोंचा’ की जल्दी से नीचे गिरा लिया. सदा साइरेन की तरह गूंजनेवाली उसकी आवाज कंठनली में ही अटक गई. साड़ी की कोंचा नीचे गिराने की हड़बड़ी में उसका ‘आंचर’ भी उड़ गया. उस संकरी पगडंडी पर, जिसके दोनों और झरबेरी के …
प्रस्तुति : प्रज्ञा तिवारी हिंदी समालोचना के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है श्रीमति रोहिणी अग्रवाल जी का। प्रस्तुत है हिंदी के महान लेखक श्री फ़णीश्वरनाथ रेणु की कहानियों में स्त्री विमर्श पर रोहिणी अग्रवाल एवं प्रज्ञा तिवारी की बातचीत के कुछ विशेष अंश : प्रज्ञा: अपनी कहानी तीसरी कसम में रेणु ने स्त्री के …
कुमार मंगलम किसी भी रचनाकार के उत्तर जीवन में मूल्यांकन के कई पड़ाव आते रहते हैं किंतु जन्मशती वर्ष एक ऐसे अवसर के रूप में हमारे सामने होता है जहाँ उस रचनाकार के अवदानों का सम्पूर्ण मूल्यांकन होता है और साथ ही हम एक कृतज्ञता स्मरण के भाव से भरे रहते हैं। आज ऐसा ही …