कमल मिश्र ‘बुनकरों की दुनिया : पांच कहानियां और प्रार्थना’, हिंदी के अतिरिक्त तेलगु और अंग्रेजी में भी एक साथ वर्ष 2018 में प्रकाशित हुयी है. हिंदी संस्करण की बात करें तो इसकी चार कहानियों और प्रार्थना का मूल से हिंदी में अनुवाद अभय कुमार नेमा ने, और ‘हम्ब्रीलमाय का करघा’ कहानी का अनुवाद वीणा …
Month: May 2021
विभा ठाकुर हिन्दी साहित्य स्त्री आत्मकथा की दृष्टि से विशेष संपन्न नही है फिर भी जितनी संख्या मे आज उनकी उपस्थिति दर्ज की गई है वह सराहनीय है। कारण आत्मकथा में सामाजिक जीवन के साथ व्यक्तिगत जीवन के अनकहे निजी प्रसंगों को विशेष कर स्त्रियों के लिए लिखना जोखिम भरा होता है। क्योंकि मर्दवादी समाज …
डॉ. सुलोचना दास कवि केदारनाथ सिंह, इस नाम से हिंदी पट्टी का विरला ही कोई होगा जो परिचित न हो। किंतु परिचित होना और जानना एक बात नहीं है। एक कवि को जानने के लिए पहले उसके व्यक्तित्व को जानना, उससे रू-ब-रू होना आवश्यक है। चकिया, बलिया जिला के अन्तर्गत आने वाला एक छोटा-सा गांव …
गगनदीप सृजनशीलता अपने आप में बड़ी चुनौती है, जो साहित्यकार को दिन-प्रतिदिन नवीन प्रेरक भूमि प्रदान करती है, जिससे एक कालजयी कृति का निर्माण सम्भव हो पाता है। साहित्य की विविधता का विकास मनुष्य के बौद्धिक स्तर पर आधारित है। जैसे-जैसे मानव का वैचारिक धरातल विस्तृत हुआ, साहित्यक गति में भी तीव्रता आई। आधुनिक युग …