पुस्तकनामा

साहित्य में अकेले कंठ की वे पुकार थे

प्रेमचंद परिवार से जुड़े हिंदी के प्रसिद्ध लेखक अजितकुमार को साहित्य विरासत में मिला था। उनकी मां सुमित्रा कुमारी सिन्हा शिवरानी देवी की समकालीन लेखिका थीं और उस जमाने की प्रमुख प्रकाशक भीथीं। बच्चन परिवार के अंतरंग रहे अजित कुमार के संचयन ‘अंजुरी भर फूल’ (संपादक: पल्लव) के बहाने हिंदी के वरिष्ठ कवि पत्रकार विमल …

जीवट पिताओं की अंतिम पीढ़ी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देती एक किताब

‘कारी तू कब्बि ना हारी’ एक साधारण शिक्षक के जीवन-संघर्ष की गाथा है, जो विषम परिस्थितियों से जूझता है, लेकिन कर्तव्यनिष्ठा के बल पर गाढ़े समय से पार पा लेता है। यह एक आम आदमी की विजय-गाथा है। इस आपाधापी भरे जीवन में ‘जीवन के शाश्वत् मूल्यों’ का निर्वहन करना किसी चुनौती से कम नहीं …

कृष्णा सोबती की अनोखी प्रेम कथा

विमल कुमार क्या आपने अपने शहर में या अपने मोहल्ले में किसी 75 वर्ष की महिला को शादी रचाते हुए देखा है? शायद नहीं देखा होगा। वैसे, आमतौर पर विदेशों में इस तरह की शादियां होती हैं लेकिन भारतीय समाज में ऐसा लगभग न के बराबर होता है पर अपवाद स्वरूप कुछ ऐसी शादियां हुई …

साहित्य में पशु-पक्षी

विजय शर्मा हैदराबाद और डालटनगंज में मैंने मधुमक्खियों को मरते हुए देखा। शोध से पता चला है कि यह मोबाइल फ़ोन का असर है। मोबाइल फ़ोन टावर तथा सेलफ़ोन से एलैक्ट्रोमैगनेट तरंगे निकलती हैं जो मधुमक्खियों के लिए हानिकारक है। इस पर केरल के एक वैज्ञानिक डॉ. सैनुद्दीन पट्टाषि (Dr. Sainuddin Pattazhy) ने एक शोध …

आओ देखें ‘बुनकरों की दुनिया’

कमल मिश्र ‘बुनकरों की दुनिया : पांच कहानियां और प्रार्थना’, हिंदी के अतिरिक्त तेलगु और अंग्रेजी में भी एक साथ वर्ष 2018 में प्रकाशित हुयी है. हिंदी संस्करण की बात करें तो इसकी चार कहानियों और प्रार्थना का मूल से हिंदी में अनुवाद अभय कुमार नेमा ने, और ‘हम्ब्रीलमाय का करघा’ कहानी का अनुवाद वीणा …

थेथर स्त्री की कथा ‘हादसे’

विभा ठाकुर हिन्दी साहित्य स्त्री आत्मकथा की दृष्टि से विशेष संपन्न नही है फिर भी जितनी संख्या मे आज उनकी उपस्थिति दर्ज की गई है वह सराहनीय है। कारण आत्मकथा में सामाजिक जीवन के साथ व्यक्तिगत जीवन के अनकहे निजी प्रसंगों को विशेष कर स्त्रियों के लिए लिखना जोखिम भरा होता है। क्योंकि मर्दवादी समाज …

केदारनाथ सिंह से एक मुकम्मल भेंट

डॉ. सुलोचना दास कवि केदारनाथ सिंह, इस नाम से हिंदी पट्टी का विरला ही कोई होगा जो परिचित न हो। किंतु परिचित होना और जानना एक बात नहीं है। एक कवि को जानने के लिए पहले उसके व्यक्तित्व को जानना, उससे रू-ब-रू होना आवश्यक है। चकिया, बलिया जिला के अन्तर्गत आने वाला एक छोटा-सा गांव …

आलोचक संग संवाद: अनल पाखी

गगनदीप सृजनशीलता अपने आप में बड़ी चुनौती है, जो साहित्यकार को दिन-प्रतिदिन नवीन प्रेरक भूमि प्रदान करती है, जिससे एक कालजयी कृति का निर्माण सम्भव हो पाता है। साहित्य की विविधता का विकास मनुष्य के बौद्धिक स्तर पर आधारित है। जैसे-जैसे मानव का वैचारिक धरातल विस्तृत हुआ, साहित्यक गति में भी तीव्रता आई। आधुनिक युग …

क्या मैथिलीशरण गुप्त का सही मूल्यांकन नही हुआ?

विमल कुमार रज़ा फाउंडेशन ने गत दिनों जैनेंद्र, नागार्जुन, कृष्णा सोबती और रघुवीर सहाय की जीवनियां प्रकाशित की। इस कड़ी में रजनी गुप्त द्वारा लिखी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी ‘कि याद जो करें सभी’ हाल ही में आई है। इन दिनों लखनऊ में एक बैंक मे कार्यरत रजनी जी की कहानियों और उपन्यासों से …

प्रतिरोध की नाट्ययात्रा का सूत्रधार

बालमुकुन्द आज के इस दौर में, जब एक नाट्य विधा के रूप में नुक्कड़ नाटकों की धार कमजोर हुई है, नुक्कड़ नाटकों के मसीहा सफ़दर हाश्मी को याद करना महज अपनी स्मृति को खंगालना या अपने नायकों के यशोगान की रस्मअदायगी भर नहीं है। यह प्रतिरोध की संस्कृति और उसकी ताकत को फिर से रेखांकित …

स्वीकृति और अस्वीकृति के द्वंद्व की कथा

अनिल अविश्रांत युद्ध में राजवंशों के जय-पराजय के रक्तिम वृतान्तों  के बीच इतिहास के ध्वांशेषों में कई बार बहुत सुन्दर प्रेम कथाओं की भी झलक मिलती है। इतिहास चाहे इन्हें महत्व न दे लेकिन जब एक साहित्यकार की दृष्टि इन पर पड़ती है तो ‘राजनटनी’ जैसी रचना जन्म लेती है। गीताश्री ने बारहवीं सदी के …

कश्यप महाराज

अनुराधापुर / सन् 480- 481 ईसवी वरिष्ठ कथाकार-ग़ज़लकार प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’ जी की शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास ‘सीगिरिया पुराण’ का एक महत्वपूर्ण अंश स्थविर तुषार जो रजत मंजूषा दे गए थे वह चाँदी की साधारण पेटी नहीं बल्कि किसी सिद्धहस्त कारीगर की कला का अद्भुत नमूना थी।।उसके ढक्कन पर अनुराधापुर का राज-चिह्न खुदा हुआ था और …

शिवरानी देवी प्रेमचंद से अधिक क्रांतिकारी थीं

विमल कुमार “अभी तक साहित्य जगत ने उनके (शिवरानी देवी) साथ न्याय नहीं किया क्योंकि मेरा व्यक्तित्व उनके व्यक्तित्व को ढक लेता है। शायद कुछ आदमी सोचते होकि उनकी रचनाओं का वास्तविक लेखकमैं ही हूं। मैं इनकार नहीं करता क्योंकि रचनाओं में साहित्यिक सजावट मेरी है लेकिन विचार और लेखन सर्वथा उन्हीं के होते हैं। …

अभागा पेंटर

कपिल ईसापुरी दोनों वकीलों ने फिर से काफी देर तक गरमागरम बहस की। इस बीच जज महेन्द्र के चेहरे के हाव-भाव को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि जज किसी अन्तिम फैसले की तरफ बढ़ने का प्रयास कर रहा है। “आप अपनी सफाई में कुछ कहना चाहते हैं महेन्द्र बाबू।”जज …