पुस्तक अंश

आलोकधन्वा से संवाद

पुस्तक आँसू और रोशनी : आलोकधन्वा से संवाद से एक अंश 1 एक रात आलोकधन्वा ने मुझसे कहा : चाँदनी का वह असर है कि वह पक्षियों को भी ठीक से सोने नहीं देती वे डैनों में चोंच डालते हैं और नींद लेने की कोशिश करते हैं फिर चोंच निकालकर देखते हैं : अँधेरा तो …

साहित्य में पशु-पक्षी

विजय शर्मा हैदराबाद और डालटनगंज में मैंने मधुमक्खियों को मरते हुए देखा। शोध से पता चला है कि यह मोबाइल फ़ोन का असर है। मोबाइल फ़ोन टावर तथा सेलफ़ोन से एलैक्ट्रोमैगनेट तरंगे निकलती हैं जो मधुमक्खियों के लिए हानिकारक है। इस पर केरल के एक वैज्ञानिक डॉ. सैनुद्दीन पट्टाषि (Dr. Sainuddin Pattazhy) ने एक शोध …

कश्यप महाराज

अनुराधापुर / सन् 480- 481 ईसवी वरिष्ठ कथाकार-ग़ज़लकार प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’ जी की शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास ‘सीगिरिया पुराण’ का एक महत्वपूर्ण अंश स्थविर तुषार जो रजत मंजूषा दे गए थे वह चाँदी की साधारण पेटी नहीं बल्कि किसी सिद्धहस्त कारीगर की कला का अद्भुत नमूना थी।।उसके ढक्कन पर अनुराधापुर का राज-चिह्न खुदा हुआ था और …

‘गॉडफादर’ पर कब्जे की होड़

अभिषेक कश्यप यह समझने में मुझे थोड़ा वक्त लगा कि राजेन्द्र जी की भक्त मंडली में शामिल मेरे दोस्त युवा/नवोदित लेखक-लेखिकाओं के बीच राजेन्द्र यादव उर्फ गॉडफादर पर कब्जे की होड़ मची है। ये भक्तगण ‘हंस’ कार्यालय से लेकर सार्वजनिक समारोहों तक गॉडफादर से चिपके रहते। वे उनकी हर बात में हुँकारी भरते, चक्कलस करते, …

असैनिक जीवन से परिचय

हेनरी त्रायत हेनरी त्रायत लिखित लियो तोल्स्तोय की जीवनी ’तोल्स्तोय’ का हिन्दी अनुवाद वरिष्ठ कथाकार रूपसिंह चन्देल ने किया है, जो शीघ्र ही ’संवाद प्रकाशन’ मेरठ से प्रकाशित हो रही है. एक अंश के रूप में यहां प्रस्तुत है जीवनी के दूसरे अध्याय का तीसरा उप-अध्याय. १९ नवंबर, १८५५ की सुबह तोल्स्तोय सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे. …

हिन्दी लघुकथा के सौन्दर्यशास्त्र की पड़ताल

डॉ. जितेन्द्र ‘जीतू’ समान्तरकोश में सौन्दर्य और शास्त्र दोनों शब्दों के पर्यायवाची मिलते हैं। सौन्दर्य का अर्थ हैंः कलापूर्णता, काव्यलंकार और सुन्दरता। कलापूर्णता के अर्थ हैंः अलंकारपूर्णता, रसपूर्णता, कलात्मकता। काव्यलंकार के अर्थ हैंः अलंकार, सौन्दर्य। सुन्दरता के अर्थ हैः सौन्दर्य, लालित्य। इसी तरह शास्त्र के अर्थ हैंः धर्मग्रन्थ, पुस्तक, विज्ञान, शास्त्र और सिद्धान्त। अतः सौन्दर्यशास्त्र …

जनता छाप इंटेलेक्चुअलता का लेखक

कथाकार मनोहर श्याम जोशी के जीवन पर आधारित प्रभात रंजन की पुस्तक ‘पालतू बोहेमियन’ काफी चर्चित रही है। प्रस्तुत है पुस्तक से एक रोचक अंश– प्रभात रंजन इंटेलेक्चुअलता अमृतलाल नागर का शब्द है। जोशी जी उनको अपना पहला कथा गुरु मानते थे। मुझे याद है कि शुरूआती मुलाकात में ही उन्होंने बताया था कि वे …

देखना

अभिषेक कश्यप किस्से-कहानियों के साथ-साथ चित्रों से भी एक सहज लगाव बचपन से रहा है। तब शब्दों से इतना गहरा नाता नहीं बन पाया था लेकिन अब सोचता हूं, छुटपन में ही यह अहसास हो गया था कि अच्छे चित्रों में एक जादू होता है, जो हमारे अंतर्जगत में घटित होता है। अच्छे चित्र हमें …

कोरोना कैद के समय में ‘वैधानिक गल्प’

वीरेंद्र यादव प्रायः ऐसा कम होता है कि कोई कृति तुरंता समय के पार जाकर पाठक को उस टाइम जोन में अवस्थित कर दे जिसमें वह सचमुच जीने को अभिशप्त हो. चंदन पांडे की उपन्यासिका या लंबी कहानी ‘ वैधानिक गल्प’ का पढ़ना कोरोना कैद के पार जाकर उस वास्तविक समय को महसूस करना है, …

फाग-लोक के ईसुरी उपन्यास

दया दीक्षित अभी वे यह चौकडि़या कह ही रहे थे कि इतने में ही रेलवे लाइन की तरफ वाले टोले के कुछ लोग उनके पास आकर रुक गए! लंबे लंबे डग भरके आ रहे इन लोगों के शरीर पसीने से भीगे हुए थे! पिछौरा से मुख और गले का पसीना पोंछता व्यक्ति कहने लगा— फगुवारे …

अग्‍नि‍लीक

‘अग्निलीक’ नाटककार-कथाकार हृषीकेश सुलभ का पहला उपन्यास है। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित यह उपन्यास इनदिनों काफी चर्चा में हैं। प्रस्तुत है उपन्यास का एक बहुत ही रोचक अंश- हृषीकेश सुलभ रेशमा की कोठरी से निकल कर जब बाज़ार की मुख्य सड़क पर आयी गुल बानो, बाज़ार में सन्नाटा था। बिजली की रोशनी थी, पर लोगबाग …

अतिक्रमण से उत्पन्न समय-सत्यों का अन्वेषण

राकेश बिहारी इह शिष्टानुशिष्टानां शिष्टानामपि सर्वथा।  वाचामेव प्रसादेन लोकयात्रा प्रवर्तते॥ (इस संसार में शिष्टों अर्थात शब्दशास्त्रियों द्वारा अनुशासित शब्दों एवं उनसे भिन्न अननुशासित शब्दों की सहायता से ही सर्वथा लोक व्यवहार चलता है।) —आचार्य दण्डी उदारीकरण और भूमंडलीकरण के नाम पर नब्बे के दशक में जिन संरचनात्मक समायोजन वाले आर्थिक बदलावों की शुरुआत हुई थी, …

ब्राह्मण से कश्मीरी पंडित तक का सफ़र [1320-1819]

अशोक कुमार पाण्डेय राजकमल प्रकाशन समूह से प्रकाशित अशोक कुमार पांडे की पुस्तक ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ काफी चर्चा में है। इसी किताब से एक अंश पुस्तकनामा के पाठकों के लिए — दसवीं सदी आते-आते कश्मीर में राजाओं के पतन से अराजकता का माहौल आम हो गया था। 883 ईसवी में अवन्तिवर्मन की मृत्यु के …

मंज़िले-मकसूद

हाल ही में कथाकार तरुण भटनागर का उपन्यास ‘बेदावा’ राजकमल प्रकाशन समूह से प्रकाशित हुआ है। इन दिनों ‘बेदावा’ चर्चा में है। उपन्यास का एक बहुत ही रोचक अंश आपके लिए पुस्तकनामा पर… (सुधीर देख नहीं सकता। वह बचपन से अंधा है। एकदम नाबीना। पर खूबसूरत मोमबत्तियाँ बनाता है। अपर्णा उससे मोमबत्तियाँ बनाना सीखती है। …