पुस्तक समीक्षा

यहाँ नहीं तो कोई रास्ता वहाँ होगा

आनन्दवर्धन द्विवेदी ग़ज़ल उर्दू की एक ऐसी आज़माई हुई कविता कहने की शैली है जिसे बड़े-बड़े उर्दू के उस्ताद शायरों ने अपनी प्रतिभा और भाषा तथा अभिव्यंजनाओं की एक-से-एक बेजोड़ अनुपमेय विशिष्टताओं के खाद-पानी से सींचा-संवारा है, जिससे समय की शताब्दियों लम्बी अनगढ़ यात्रा के बीच जिसके पुष्पों के रंग और पराग की सुगंध म्लान …

औरतों के जख्मों की डायरी

विमल कुमार क्या आपने कोई ऐसी डायरी पढ़ी है जिसमें शुरू से लेकर आखिर तक लगभग हर पन्ने पर औरतों के जख्म बिखरे पड़े हो, उन पन्नों पर उनकी चीख पुकार सुनाई दे रही हो और उनमें एक गहरा आर्तनाद छिपा हो? हिंदी में आज तक सम्भवतः कोई ऐसी डायरी लिखी नहीं गई थी जिसमें …

“कविता केवल शब्दों का जोड़ नहीं है, सिनेमा केवल सीन नहीं है”

विभावरी वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज की अभिनेता इरफ़ान खान पर लिखी किताब ‘इरफ़ान : …और कुछ पन्ने कोरे रह गए’ पर बात शुरू करते हुए मैं उस चिट्ठी का ज़िक्र करना चाहूंगी जो इरफ़ान ने अजय जी को उस वक़्त लिखी थी जब अपने इलाज के दौरान वे लन्दन में थे. यह चिट्ठी इस …

स्त्री प्रश्न : हिंदी नवजागरण के अंतर्विरोध

विमल कुमार “स्त्री पुरुष में समानता है, ऐसा समझना भूल है। अपने देशवासियों को इससे बचना चाहिए पर यह ना समझना चाहिए कि मजदूरों को वोट का अधिकार देने का विरोधी हूं… स्त्रियों को गृह कार्य की शिक्षा दी जानी चाहिए पर ऐसी शिक्षा नहीं जो उन्हें गृह कार्य के धर्म कर्तव्यों से जरा भी …

घने अंधकार में रोशनी की तलाश

प्रेम नंदन वत्स आज सत्य के कई रूप हो गए हैं। जहाँ तक हमारी दृष्टि जा पाती है, हम उस सत्य तक उतना ही पहुँच पाते हैं। आज कई सारी बातें आपस में धागों की तरह उलझी हुई हैं। इन उलझे हुए सत्यों के धागों के सिरों को पकड़कर सुलझाने की कोशिश है उमाशंकर चौधरी …

लोक का पुनर्जागरण

प्रशांत खत्री गन आइलैंड से पहले जल-वायु परिवर्तन पर अमिताव घोष की पुस्तक द ग्रेट दीरेंज्मेंट: क्लाइमेट चेंज एंड द अन्थिकेबल में उन्होंने इस बात की चर्चा की है कि अमेरिका में जल-वायु परिवर्तन पर यदि किसी संस्था में सबसे ज्यादा शोध हो रहा है तो वह कोई शोध-संस्था नहीं बल्कि पेंटागन है जो कि …

क्या यूरोपीय पुनर्जागरण के महानायक लियोनार्दो दा विंची भी समलैंगिक थे?

विमल कुमार संभव है आप लोगों में कुछ लोगों को यह जानकर आश्चर्य लगे पर उनके बारे में यह कोई नया रहस्योद्घाटन नहीं है बल्कि उनके कई जीवनीकारों ने इस बारे में लिखा है। विंची पर सोडोमी यानी गुदासंसर्ग का भी आरोप 1476 में लगा था पर अदालत में सबूत के अभाव में उन्हें बरी …

वह बोरिस पास्तरनाक और रिल्के से एक साथ प्रेम करती थी

विमल कुमार आपको जानकर शायद थोड़ा आश्चर्य लगे रूस की वह कवयित्री शादीशुदा होने के बाद भी अपने समय के दो बड़े लेखकों के साथ एक ही समय में प्रेम करती थी जबकि उसने प्रेम विवाह किया था। उससे पहले भी युवावस्था में भी उसके मन में एक पुरुष के लिए प्रेम अंकुरित हुआ था …

हिमयुगी चट्टाने : यहाँ से फ़िनलैंड को देखो

राकेश मिश्र प्रो. जी. गोपीनाथन की पहचान एक वरिष्ठ भाषा वैज्ञानिक, अनुवादक और नवोन्मेषी शिक्षाशास्त्री की रही है । महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के दूसरे कुलपति के रूप में उन्होंने भाषा प्रौद्योगिकी और अनुवाद प्रौद्योगिकी जैसे विषय शुरू कर हिन्दी भाषा के परंपागत अध्ययन-अध्यापन को जैसे एक नई उड़ान दी थी । एक अनुवादक …

क्योंकि निर्बंध जीना है उन्हें एक मनुष्य की तरह..!

सारंग उपाध्याय एक रचना अपने में संपूर्ण है. एक सृजन हर प्रतिक्रिया से परे. एक सुंदर फूल खिलने में पूर्ण है तो एक बहती नदी का सौंदर्य उसके होने में. स्वयं में पूर्ण. एक कविता संपूर्ण जीवन को लेकर अभिव्यक्त हुई. जीवन से भरा मन और भावों से भरा जीवन. जीवन किताबों में कहां?कविता जीवन …

जीवन, ज़मीन और जंगल की संघर्ष गाथा

अंकित नरवाल “आदिवासी सिर्फ बैंक है, जिसने जंगल में व्यापारियों के पैसा कमाने के लिए जंगल और जमीन की अमानत सँजो रखी है, नेताओं के वोट जुटा रखे हैं। आठ करोड़ आदिवासियों की हिमायत का दम भरने वाली सरकार को तो अब सिर्फ उद्योगपतियों का हित दिखता है। बड़े-बड़े कारखाने दिख रहे हैं। वह उदारवाद …

अपने समय का अंतर्पाठ करती ये कविताएं

उमा शंकर चौधरी हिन्दी कविता में जिन कवियों के यहां राजनीतिक चेतना बहुत मुखर रूप में आयी है वरिष्ठ कवि मदन कश्यप का नाम उनमें प्रमुख है। राजनीति उनकी कविता का मुख्य स्वर है। इसलिए जिन कविताओं में वे बहुत मुखर होकर राजनीतिक चिंताओं को नहीं पकड़तें हैं वहां भी राजनीतिक दुष्परिणाम प्रकारान्तर से जरूर …

वंचित समाज की कथा

विमल कुमार हिंदी साहित्य में इतिहास और पुराणों के आधार पर उपन्यास लिखना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन उससे भी अधिक चुनौतीपूर्ण कार्य यह है कि किसी रचना में उस दौर के इतिहास का इस्तेमाल करते हुए हैं उसमें एक नए पात्र और नये नायक का निर्माण करना जो इतिहास में वर्णित नहीं है …

अंतरंगता के रंग

राकेश कुमार कलाएँ मानव सभ्यता की समृद्धि का पैमाना होती हैं और समय को जाँचने-परखने वाली आँख भी। अक्सर आलोचक-समीक्षक अपनी सुविधा की दृष्टि से कलाओं को चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, साहित्य आदि विभिन्न विधाओं और उपविधाओं में बाँट देते हैं, पर कला और साहित्य तो जीवन की भाँति सीमाओं और रूढ़ियों का अतिक्रमण करते हैं …