कश्यप महाराज

अनुराधापुर / सन् 480- 481 ईसवी वरिष्ठ कथाकार-ग़ज़लकार प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’ जी की शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास ‘सीगिरिया पुराण’ का एक महत्वपूर्ण अंश स्थविर तुषार जो रजत मंजूषा दे गए थे वह चाँदी की साधारण पेटी नहीं बल्कि किसी सिद्धहस्त कारीगर की कला का अद्भुत नमूना थी।।उसके ढक्कन पर अनुराधापुर का राज-चिह्न खुदा हुआ था और …

शिवरानी देवी प्रेमचंद से अधिक क्रांतिकारी थीं

विमल कुमार “अभी तक साहित्य जगत ने उनके (शिवरानी देवी) साथ न्याय नहीं किया क्योंकि मेरा व्यक्तित्व उनके व्यक्तित्व को ढक लेता है। शायद कुछ आदमी सोचते होकि उनकी रचनाओं का वास्तविक लेखकमैं ही हूं। मैं इनकार नहीं करता क्योंकि रचनाओं में साहित्यिक सजावट मेरी है लेकिन विचार और लेखन सर्वथा उन्हीं के होते हैं। …

अभागा पेंटर

कपिल ईसापुरी दोनों वकीलों ने फिर से काफी देर तक गरमागरम बहस की। इस बीच जज महेन्द्र के चेहरे के हाव-भाव को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि जज किसी अन्तिम फैसले की तरफ बढ़ने का प्रयास कर रहा है। “आप अपनी सफाई में कुछ कहना चाहते हैं महेन्द्र बाबू।”जज …

यहाँ नहीं तो कोई रास्ता वहाँ होगा

आनन्दवर्धन द्विवेदी ग़ज़ल उर्दू की एक ऐसी आज़माई हुई कविता कहने की शैली है जिसे बड़े-बड़े उर्दू के उस्ताद शायरों ने अपनी प्रतिभा और भाषा तथा अभिव्यंजनाओं की एक-से-एक बेजोड़ अनुपमेय विशिष्टताओं के खाद-पानी से सींचा-संवारा है, जिससे समय की शताब्दियों लम्बी अनगढ़ यात्रा के बीच जिसके पुष्पों के रंग और पराग की सुगंध म्लान …

‘गॉडफादर’ पर कब्जे की होड़

अभिषेक कश्यप यह समझने में मुझे थोड़ा वक्त लगा कि राजेन्द्र जी की भक्त मंडली में शामिल मेरे दोस्त युवा/नवोदित लेखक-लेखिकाओं के बीच राजेन्द्र यादव उर्फ गॉडफादर पर कब्जे की होड़ मची है। ये भक्तगण ‘हंस’ कार्यालय से लेकर सार्वजनिक समारोहों तक गॉडफादर से चिपके रहते। वे उनकी हर बात में हुँकारी भरते, चक्कलस करते, …

कल्लू

हरजीत सिंह 5 जनवरी 1959 को देहरादून में जन्मे हरजीत का जीवन लगभग चालीस साल का रहा। 22 अप्रैल 1999 को दमे के अटैक ने हरजीत को हमसे दूर कर दिया परंतु अल्पायु जीवन में ही हरजीत इतना काम कर गया कि उसे भुलाया नहीं जा सकता। हरजीत बहुआयामी प्रतिभावान था। बेहतरीन ग़ज़लगो। उसके जीवन …

वह एक और मन रहा राम का जो न थका

वरिष्ठ आलोचक मैनेजर पाण्डेय जी के जन्मदिन पर विशेष प्रस्तुति डॉ. अर्चना त्रिपाठी सुप्रसिद्ध आलोचक पाण्डेय जी एक व्यक्ति नहीं एक संस्था हैं । ज्ञान के जीते जागते इनसाइक्लोपिडिया । ऐसे अप्रितम महापुरुष जन्म से नहीं कर्म से बनते हैं । पाण्डेय जी ने  शिक्षण- संस्थाओं को सींचा है उसका उर्ध्वगामी विकास किया है । …

हिंदी की दीप शिखा महादेवी क्या एक मुस्लिम से प्रेम करती थीं?

विमल कुमार (महादेवी की पुण्यतिथि पर) क्या महादेवी वर्मा किसी मुस्लिम युवक से प्रेम करती थी और उससे वह उससे शादी करना चाहती थी? क्या इसके लिए उनके पिता ने धर्म परिवर्तन की बात कही थी? क्या इस घटना का असर महादेवी वर्मा के जीवन पर पड़ा था और उसकी गहरी पीड़ा उनकी कविता में …

कथाकार राकेश मिश्र को एम.एस. सिग्नेचर अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड

डॉ. राकेश मिश्र को अन्‍तराष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रतिष्ठित एम.एस. सिग्‍नेचर अवार्ड 2020 से सम्‍मानित किया गया है। चिकित्‍सा विज्ञान, शैक्षणिक नवोन्‍मेष, कला संस्‍कृति, समाज सेवा आदि के क्षेत्र में दिया जाने वाला यह सम्‍मान डॉ. मिश्र को गांधी अध्‍ययन एवं शांति शोध के क्षेत्र में विशिष्‍ट योगदान के लिये दिया गया है। ध्‍यातव्‍य है कि डॉ. राकेश …

व्यक्तिगत प्रयास से गाँव को मिला अपना पुस्तकालय

लगभग हर गाँव में ऐसी बहुत-सी प्रतिभाएं होती हैं जो तरह-तरह की किताबें पढ़ना तो चाहती हैं, लेकिन पढ़ नहीं पाती हैं। ऐसे में अपने गाँव में लाइब्रेरी शुरू करने का बीड़ा उठाया अवशेष चौहान ने। अवशेष ने बताया कि वैसे भी आजकल गांव में पढ़ने का माहौल कम होता जा रहा है। इसी कारण …

औरतों के जख्मों की डायरी

विमल कुमार क्या आपने कोई ऐसी डायरी पढ़ी है जिसमें शुरू से लेकर आखिर तक लगभग हर पन्ने पर औरतों के जख्म बिखरे पड़े हो, उन पन्नों पर उनकी चीख पुकार सुनाई दे रही हो और उनमें एक गहरा आर्तनाद छिपा हो? हिंदी में आज तक सम्भवतः कोई ऐसी डायरी लिखी नहीं गई थी जिसमें …

“कविता केवल शब्दों का जोड़ नहीं है, सिनेमा केवल सीन नहीं है”

विभावरी वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज की अभिनेता इरफ़ान खान पर लिखी किताब ‘इरफ़ान : …और कुछ पन्ने कोरे रह गए’ पर बात शुरू करते हुए मैं उस चिट्ठी का ज़िक्र करना चाहूंगी जो इरफ़ान ने अजय जी को उस वक़्त लिखी थी जब अपने इलाज के दौरान वे लन्दन में थे. यह चिट्ठी इस …

स्त्री प्रश्न : हिंदी नवजागरण के अंतर्विरोध

विमल कुमार “स्त्री पुरुष में समानता है, ऐसा समझना भूल है। अपने देशवासियों को इससे बचना चाहिए पर यह ना समझना चाहिए कि मजदूरों को वोट का अधिकार देने का विरोधी हूं… स्त्रियों को गृह कार्य की शिक्षा दी जानी चाहिए पर ऐसी शिक्षा नहीं जो उन्हें गृह कार्य के धर्म कर्तव्यों से जरा भी …

असैनिक जीवन से परिचय

हेनरी त्रायत हेनरी त्रायत लिखित लियो तोल्स्तोय की जीवनी ’तोल्स्तोय’ का हिन्दी अनुवाद वरिष्ठ कथाकार रूपसिंह चन्देल ने किया है, जो शीघ्र ही ’संवाद प्रकाशन’ मेरठ से प्रकाशित हो रही है. एक अंश के रूप में यहां प्रस्तुत है जीवनी के दूसरे अध्याय का तीसरा उप-अध्याय. १९ नवंबर, १८५५ की सुबह तोल्स्तोय सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे. …