पूनम अरोड़ा कोई भी कृति नितांत रूप से एक व्यक्तिगत यात्रा होती है. एक ऐसी यात्रा जिसकी राह पर चलते-चलते हम अनजाने में ही कुछ छोटे कंकड़ (स्मृतियाँ) अपने सामान के साथ रख लेते हैं या कभी किसी ध्वनि के साथ अपने अतीत में खो जाते हैं. लेकिन प्रश्न यह है कि आखिर वे स्मृतियाँ …