Tag Archives: गीताश्री

स्वीकृति और अस्वीकृति के द्वंद्व की कथा

अनिल अविश्रांत युद्ध में राजवंशों के जय-पराजय के रक्तिम वृतान्तों  के बीच इतिहास के ध्वांशेषों में कई बार बहुत सुन्दर प्रेम कथाओं की भी झलक मिलती है। इतिहास चाहे इन्हें महत्व न दे लेकिन जब एक साहित्यकार की दृष्टि इन पर पड़ती है तो ‘राजनटनी’ जैसी रचना जन्म लेती है। गीताश्री ने बारहवीं सदी के …