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जो शामिल हैं इस दुनिया की तबाही में

विस्‍थापन, पीड़ा और दुश्‍चिंताओं की इबारत ओम निश्चल लीलाधर मंडलोई एक बेचैन कवि हैं। कुछ कवि होते हैं जिनके पास कहने को बहुत कुछ होता है और बार बार वे उस पीड़ा का इज़हार करते हैं जिससे यह पूरी मनुष्‍यता गुज़र रही है। कहने को हम विश्‍वबंधुता का ढोल अक्‍सर पीटते हैं पर पूरी दुनिया …