प्रेम नंदन वत्स आज सत्य के कई रूप हो गए हैं। जहाँ तक हमारी दृष्टि जा पाती है, हम उस सत्य तक उतना ही पहुँच पाते हैं। आज कई सारी बातें आपस में धागों की तरह उलझी हुई हैं। इन उलझे हुए सत्यों के धागों के सिरों को पकड़कर सुलझाने की कोशिश है उमाशंकर चौधरी …