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क्या आपने रूमी की शायरी पढी है?

विमल कुमार       (मैं क्या करूं, ऐ मुसलमानों! मैं खुद अपने आप को नहीं पहचानता। न मैं ईसाई हूँ, यहूदी न अग्निपूजक  और नहीं मुसलमान। ना मैं पूरब का हूं ना पश्चिम का, ना धरती का न सागर का न मैं प्रकृति द्वारा गढ़ा  गया हूं और ना ही मंडरानेवाला आसमान से आया हूं। न …