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शिवरानी देवी प्रेमचंद से अधिक क्रांतिकारी थीं

विमल कुमार “अभी तक साहित्य जगत ने उनके (शिवरानी देवी) साथ न्याय नहीं किया क्योंकि मेरा व्यक्तित्व उनके व्यक्तित्व को ढक लेता है। शायद कुछ आदमी सोचते होकि उनकी रचनाओं का वास्तविक लेखकमैं ही हूं। मैं इनकार नहीं करता क्योंकि रचनाओं में साहित्यिक सजावट मेरी है लेकिन विचार और लेखन सर्वथा उन्हीं के होते हैं। …