Tag Archives: फणीश्वरनाथ रेणु

नैना जोगिन

फणीश्वरनाथ रेणु रतनी ने मुझे देखा तो घुटने से ऊपर खोंसी हुई साड़ी को ‘कोंचा’ की जल्दी से नीचे गिरा लिया. सदा साइरेन की तरह गूंजनेवाली उसकी आवाज कंठनली में ही अटक गई. साड़ी की कोंचा नीचे गिराने की हड़बड़ी में उसका ‘आंचर’ भी उड़ गया. उस संकरी पगडंडी पर, जिसके दोनों और झरबेरी के …

फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों में स्त्री-परिचय : रोहिणी अग्रवाल

प्रस्तुति : प्रज्ञा तिवारी हिंदी समालोचना के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है श्रीमति रोहिणी अग्रवाल जी का। प्रस्तुत है हिंदी के महान लेखक श्री फ़णीश्वरनाथ रेणु की कहानियों में स्त्री विमर्श पर रोहिणी अग्रवाल एवं प्रज्ञा तिवारी की बातचीत के कुछ विशेष अंश : प्रज्ञा: अपनी कहानी तीसरी कसम में रेणु ने स्त्री के …