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फाग-लोक के ईसुरी उपन्यास

दया दीक्षित अभी वे यह चौकडि़या कह ही रहे थे कि इतने में ही रेलवे लाइन की तरफ वाले टोले के कुछ लोग उनके पास आकर रुक गए! लंबे लंबे डग भरके आ रहे इन लोगों के शरीर पसीने से भीगे हुए थे! पिछौरा से मुख और गले का पसीना पोंछता व्यक्ति कहने लगा— फगुवारे …