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समकालीन मराठी स्त्री कविता में स्त्री तत्व

भारतीय साहित्य में मराठी स्त्री कविता की धारा तेरहवीं शताब्दी से भक्ति भाव को लेकर शुरू हो कर क्रमशः नारीवाद को छूती हुई अपनी राह बनाती रही है। नारीवादी कविता अक्सर भाषा और भाव का सहारा लेकर समाज में प्रचलित कुसंस्कार और रूढ़िवादी धारणाओं को चुनौती देने का प्रयास करती है।

ज़मीन और पानी के दरमियान

श्रीधर नांदेड़कर की कविताएं ओम निश्‍चल यह संयोग ही था कि पिछले विश्व पुस्तक मेले में श्रीधर नांदेड़कर का कविता संग्रह जमीन और पानी के दरमियान का हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुआ और उसके थोड़े ही दिनों बाद उन्हें साहित्य अकादमी के मंच पर सुनने का अवसर मिला। यह सौभाग्य की बात है कि मराठी और …