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तीसरी कसम उर्फ़ महुआ घटवारिन को डूबना होगा…

कविता जनाना मुसाफिरखाने में हीरा कबसे मुंह ढांके पड़ी है… न जाने उसे किसकी प्रतीक्षा है… ट्रेन की तो बिलकुल नहीं… पता है उसे कि ट्रेन के आने में अभी कई घंटे का वक्त है… तबतक हीरा करे भी तो क्या करे, सिवाय इंतजार के…. लालमोहन अबतक तो पहुँच चुका होगा फारबिसगंज… क्या अबतक उसकी …