विमल कुमार क्या आपने कोई ऐसी डायरी पढ़ी है जिसमें शुरू से लेकर आखिर तक लगभग हर पन्ने पर औरतों के जख्म बिखरे पड़े हो, उन पन्नों पर उनकी चीख पुकार सुनाई दे रही हो और उनमें एक गहरा आर्तनाद छिपा हो? हिंदी में आज तक सम्भवतः कोई ऐसी डायरी लिखी नहीं गई थी जिसमें …
विमल कुमार “स्त्री पुरुष में समानता है, ऐसा समझना भूल है। अपने देशवासियों को इससे बचना चाहिए पर यह ना समझना चाहिए कि मजदूरों को वोट का अधिकार देने का विरोधी हूं… स्त्रियों को गृह कार्य की शिक्षा दी जानी चाहिए पर ऐसी शिक्षा नहीं जो उन्हें गृह कार्य के धर्म कर्तव्यों से जरा भी …
विमल कुमार प्रसिद्ध गांधीवादी पत्रकार एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने पिछले दिनों रजा फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर बोलते हुए कहा था कि जिस तरह गांधी जी का जीवन अपने में आप में एक संदेश था, उसी तरह उनकी मृत्यु भी एक संदेश थी। गांधी जी का …
विमल कुमार क्या आपने 1908 में श्रीमती प्रियंबद देवी का उपन्यास ‘लक्ष्मी’ पढ़ा? शायद नही पढ़ा होगा। यह भी संभव है आपने इसका नाम भी नहीं सुना हो। क्या आपने 1909 में श्रीमती कुंती देवी का उपन्यास ‘पार्वती’ और 1911 में श्रीमती यशोदा देवी का उपन्यास ‘सच्चा पति प्रेम’ और 1912 में श्रीमती हेमंत कुमारी …
विमल कुमार (मैं क्या करूं, ऐ मुसलमानों! मैं खुद अपने आप को नहीं पहचानता। न मैं ईसाई हूँ, यहूदी न अग्निपूजक और नहीं मुसलमान। ना मैं पूरब का हूं ना पश्चिम का, ना धरती का न सागर का न मैं प्रकृति द्वारा गढ़ा गया हूं और ना ही मंडरानेवाला आसमान से आया हूं। न …
विमल कुमार हिंदी साहित्य में इतिहास और पुराणों के आधार पर उपन्यास लिखना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन उससे भी अधिक चुनौतीपूर्ण कार्य यह है कि किसी रचना में उस दौर के इतिहास का इस्तेमाल करते हुए हैं उसमें एक नए पात्र और नये नायक का निर्माण करना जो इतिहास में वर्णित नहीं है …
विमल कुमार भारतीय वांग्मय, भाषा और साहित्य के निर्माण में विदेशी विद्वानों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। सर विलियम जोन्स से लेकर मैक्समूलर और जॉर्ज ग्रियर्सन ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन हिंदी साहित्य के जो पाठ्यक्रम बने, उसमें इन तीनों विद्वानों की चर्चा आमतौर पर नहीं है लेकिन जब कोई शोधार्थी …
विमल कुमार क्या आप ग्लोरिया स्टायनेम को जानते है? शायद नही जानते होंगे। सेकंड सेक्स की मशहूर लेखिका सिमोन द बुआ की तरह वह भारत के हिंदी जगत में नही जानी जाती है। वह जर्मन ग्रीयर और केट मिलेट की तरह भी शायद जानी जानी होंगी लेकिन पिछले कुछ सालों से हिंदी में स्त्रीवादी लेखन …