वीरेंद्र यादव प्रायः ऐसा कम होता है कि कोई कृति तुरंता समय के पार जाकर पाठक को उस टाइम जोन में अवस्थित कर दे जिसमें वह सचमुच जीने को अभिशप्त हो. चंदन पांडे की उपन्यासिका या लंबी कहानी ‘ वैधानिक गल्प’ का पढ़ना कोरोना कैद के पार जाकर उस वास्तविक समय को महसूस करना है, …
पंकज मित्र वैसे तो चंदन पाण्डेय के पहले उपन्यास ‘वैधानिक गल्प’ की अति सरलीकृत व्याख्या यह हो सकती है कि यह लव जिहाद और भीड़ हत्या के विषय पर लिखा गया है परंतु भीड़ को हत्यारी भीड़ में बदलने और इस कौशल से बदलने कि भीड़ को अहसास भी न हो कब वह कातिल भीड़ …