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संघर्ष में लय की खोज की कवितायेँ– ‘क्षीरसागर में नींद’

अनिल कुमार पाण्डेय कविता में जब जन-सरोकारों के संरक्षण की बात आएगी तो कवि की निष्क्रियता एवं निष्पक्षता को लेकर सवाल किया जाएगा. किसी भी देश के सांस्कृतिक समाज और सामाजिक संस्कृति की समृद्धि कवि-विवेक और कविता-सामर्थ्य पर निर्भर करता है. जनसामान्य यहाँ एक हद तक उत्तरदायी नहीं होता जितने कि बुद्धिजीवी. साधारण जनता से …