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अपने अंत:पुर से बाहर आती स्‍त्री

[स्‍त्रीवाद, स्‍त्री-चिंतन और कविता के आयाम] कविता में स्‍त्री प्रत्‍यय-भाग 2 ओम निश्‍चल ‘कविता में स्‍त्री प्रत्‍यय’  जहां स्‍त्री कविता का एक विहंगम अध्‍ययन अनुशीलन था वहीं उसके पीछे स्‍त्रीवाद की वैचारिकी और स्‍त्री चिंतन की अपनी सुचिंतित भूमिका रही है। केवल भारतीय स्त्रीचिंतकों के बलबूते आज की कविता में स्‍त्रीवाद इतना मुखर नहीं हुआ …