विमल कुमार क्या आपने कोई ऐसी डायरी पढ़ी है जिसमें शुरू से लेकर आखिर तक लगभग हर पन्ने पर औरतों के जख्म बिखरे पड़े हो, उन पन्नों पर उनकी चीख पुकार सुनाई दे रही हो और उनमें एक गहरा आर्तनाद छिपा हो? हिंदी में आज तक सम्भवतः कोई ऐसी डायरी लिखी नहीं गई थी जिसमें …