गति और ठहराव, द्रुत और विलंबित, राग-रंग और शोक, शुद्धता और मिलावट तथा अपेक्षा और मोहभंग की कई समानांतर, विरोधी और पूरक लकीरों से ही आज के समय की छवि मुकम्मल होती है। अपने समय, समाज और सभ्यता की समीक्षा करते हुए एक बेहतर दुनिया के स्वप्न की रचना ही साहित्य और कला का वास्तविक …