आनन्दवर्धन द्विवेदी ग़ज़ल उर्दू की एक ऐसी आज़माई हुई कविता कहने की शैली है जिसे बड़े-बड़े उर्दू के उस्ताद शायरों ने अपनी प्रतिभा और भाषा तथा अभिव्यंजनाओं की एक-से-एक बेजोड़ अनुपमेय विशिष्टताओं के खाद-पानी से सींचा-संवारा है, जिससे समय की शताब्दियों लम्बी अनगढ़ यात्रा के बीच जिसके पुष्पों के रंग और पराग की सुगंध म्लान …